बेटी की विदाई की बात तो सब करते हैं । बेटों की विदाई की बात कोई नहीं करता । बेटी तो शादी के बाद विदा होकर ससुराल चली जाती है ।जहाँ उसके साथ उसका नया परिवार और जीवन साथी होता है ।
जब बेटे की विदाई होती है तो कोई सोचता भी नहीं है । बेटे कभी पढ़ने के लिए घर से बाहर जाते हैं । छात्रावास में रहते हैं, घरवालों से दूर। कुछ दिनों में जब दोस्त बन जाते हैं । तो कॉलेज में और छात्रावास में उनका मन लगने लगता है । पढ़ाई पूरी होने के बाद वह लोग नौकरी करने लगते हैं ।
जब नौकरी करने जाते हैं । वहाँ भी तीन चार लड़के मिलकर एक फ्लैट किराए पर लेकर रहते हैं । खाना कभी खुद बनाते हैं । कभी कुक से बनवाते हैं । कभी बाजार से मंगाते हैं । उन्हें भी तो माँ के हाथ का खाना याद आता है । उन्हें भी तो मम्मी, पापा, भाई ,बहन की याद आती है।
कुछ बेटे 11 वीं कक्षा से ही बाहर चले जाते हैं । कुछ कॉलेज की पढ़ाई करने बाहर जाते हैं । कुछ नौकरी करने बाहर जाते हैं । कुछ नौकरी में स्थानांतरण होने पर बाहर चले जाते हैं ।
एक बार जब बाहर चले जाते हैं । फिर तो छुट्टियों में ही घर आ पाते हैं । जब उनकी शादी होती है । तब उन्हें भी जीवनसाथी मिलता है । उनका परिवार शुरू होता है ।
बच्चों को पढ़ना और नौकरी करनी है तो बाहर जाना ही होगा । हमें बेटों की शांतिपूर्ण विदाई के बारे में सोचना तो चाहिए ।