रमा आज बहुत खुश है आज उसका मकान बन कर तैयार हो गया है। पंडित जी से मुहूर्त निकलवा कर वह गृह प्रवेश की पूजा करवायेगी । अपने पति और बच्चों को भी खबर कर देगी ।
पंडित जी ने पूजा के लिए एक हफ्ते बाद का समय दिया । पूजा वाले दिन घर में बहुत रौनक थी पति और दोनों बच्चे भी आ गए थे । पूजा संपन्न होने के बाद रमा ने घर का सामान भी शिफ्ट करवाया । सब ने मिलकर घर को सजाया । 2 दिन बाद सब जाने लगे । रमा ने अपने पति से कहा अब तो आप रिटायर हो गए हो यहीं रहो । बच्चों को जाने दो।
रमा के, एक बेटा एक बेटी, दो बच्चे थे। बेटी की शादी हो चुकी थी । पर वह अपने पति के साथ खुश नहीं थी । रमा की बेटी राधिका पढ़ने में अच्छी थी । उसने एमएससी कृषि विज्ञान से किया । फिर पीएचडी की । उसके बाद उसकी नियुक्ति एक कृषि विश्वविद्यालय में हो गई ।
अब रमा और उसके पति दीपक ने अपनी बेटी के लिए अच्छे घर वर की तलाश शुरू कर दी । कई लड़के देखे गए । कोई इन्हें पसंद नहीं आता किसी को यह लोग पसंद नहीं आते। देखते देखते 2 साल बीत गए । कहीं बात नहीं बन पा रही थी । तभी रवि का रिश्ता मिला । वह भी कृषि विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर था । इस रिश्ते में दोनों की नौकरी का कार्यक्षेत्र एक ही था । लड़का भी अच्छा लगा । उसके परिवार का जीवन स्तर रमा के परिवार से कम था रमा ने दीपक से कहा यह रिश्ता नहीं करते । दीपक ने कहा ऐसी कोई बात नहीं है सब भले लोग हैं ।
दीपक ने राधिका का रिश्ता रवि के साथ तय कर दिया । कुछ महीने बाद दोनों की शादी हो गयी ।रमा और दीपक ने राधिका की शादी बहुत धूमधाम से की । अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखी । रमा का बेटा राधिका से छोटा था । वह वेटनरी डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा था ।
जब किशोर पग फेरे के लिए राधिका को बुलाने उसके ससुराल गया तो वहाँ उसे ताने सुनने पड़े । रवि के माता-पिता ने कहा तुम्हारे पिताजी ने जैसी शादी कही थी वैसी नहीं की । अब जब रवि राधिका को लेने आएगा तो जो कमी रह गई है वह पूरी कर देना ।
किशोर राधिका को लेकर घर आ गया । दोनों बच्चों का उतरा चेहरा देखकर रमा ने पूछा क्या बात है ?क्यों परेशान हो ? राधिका और किशोर ने पूरी बात बता दी । रमा के पति दीपक ने दोनों बच्चों से कहा जो कुछ भी रवि के माता-पिता ने कहा था । हमने सब दिया है अब क्या चाहिए ?
राधिका ने अपने पापा से कहा पापा अब आप कुछ नहीं देंगे । उन लोगों से बात कीजिए । मुझे तो रवि पर आश्चर्य हो रहा है । जिसने अपने माता-पिता को नहीं समझाया ।
दोनों पक्षों के बड़े बुजुर्गों की आपस में बात हुई । सब ने यह तय किया शादी बहुत अच्छी तरह से संपन्न हुई । लेकिन दीपक और रमा रवि के माता-पिता को अब और कुछ नहीं देंगे । तीज त्यौहार पर जो दिया जाता है । बस वही दिया जाएगा ।
रवि और राधिका अपनी नौकरी वाले शहर मेरठ आ गए । कुछ दिन तो सब ठीक था । एक महीने बाद जब रवि के माता-पिता उनके पास रहने आए तो राधिका को परेशान करने लगे । रवि अपने माता पिता से कुछ नहीं कहता था । बल्कि उनकी बातों में आकर वह भी राधिका को परेशान करने लगा ।
दीपक की नौकरी भी उसी शहर में थी । एक दिन जब वह राधिका से मिलने गए तो वह उन्हें उदास लगी। सब लोगों के सामने वह कुछ बता नहीं पाई । अगले दिन दीपक राधिका से मिलने उसके विश्वविद्यालय पहुंचे। राधिका से पूछा बेटा क्या बात है ? राधिका ने बताया रवि और उसके माता-पिता मुझे परेशान करते हैं ।
दीपक ने घर आकर रमा को सब बताया । रमा भी परेशान हो गई ।अब क्या करें ? दीपक ने कहा इसमें राधिका की तो कोई गलती नहीं है। हमने उसके लिए सही घर वर नहीं चुना । हम उनके बारे में सही से पता नहीं कर पाए । अब मैं अपनी बेटी का साथ नहीं छोड़ूँगा। मैं उसके साथ रहूँगा ।
रमा ने कहा आप कुछ भी कहे । मैं बेटी के घर जाकर नहीं रहूँगी । मैं मथुरा जा रही हूँ । वही किराए का घर लेकर रहूँगी । जो अपनी जमीन वहाँ पर है । उस पर मकान बनवाऊँगी । दीपक ने कहा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी ।
इस बात को 3 साल हो गए । दीपक राधिका के साथ उसी के घर में रहते हैं । उनके रहने से रवि राधिका को ज्यादा परेशान नहीं कर पाता । किशोर की पढ़ाई पूरी हो गई । वह वेटनरी डॉक्टर बन गया है ।उसकी पोस्टिंग राधिका के पास वाले शहर हापुड़ में हुई है ।
रमा ने अपने पति से कहा दोनों बच्चों को जाने दो तुम यहीं रहो। दीपक ने कहा ठीक है । राधिका को समझाया । रवि अगर परेशान करे तो बताना मैं आ जाऊँगा । इस बार राधिका को अकेला आया देखकर रवि ने कहा तुम्हारे पिताजी नहीं आए ।राधिका ने कहा पिताजी अब माँ के पास रहेंगे ।
राधिका की गृहस्थी की गाड़ी कुछ दिन तो ठीक चली फिर वही हाल । लेकिन इस बार राधिका ने सोचा मुझे अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। कब तक मम्मी पापा को परेशान करती रहूँगी। इस उम्र में 3 साल तक वह दोनों मेरी वजह से अलग रहे । राधिका से किशोर बीच-बीच में बात करता रहता था । वह राधिका को हिम्मत दिलाता । दीदी तुम अपनी हर परेशानी मुझसे कहो । निभाने की कोशिश करो अपने स्वाभिमान के साथ । यदि ऐसा ना हो तो सोच समझकर कदम उठाओ ।
राधिका अब रवि से बेकार की बहस नहीं करती थी । वह अपने घर और कॉलेज के काम में संतुलन रखती । रवि देख रहा था । अब राधिका उससे बात करने में डरती नहीं है। रवि के माता-पिता उनके घर रहने आए । फिर राधिका को परेशान करने लगे । रवि भी उसे परेशान करने लगा ।
राधिका अब उन लोगों की बातों से परेशान नहीं होती थी। अब उसने सोच लिया था । मैं ही कब तक अच्छी बहू और पत्नी बनूँ । इन लोगों को भी तो अच्छे सास-ससुर और रवि को अच्छा पति बनना चाहिए ।
जब उसके सास ससुर ने देखा इस बार तो राधिका हमारे आने से परेशान नहीं हो रही है । उसके सास-ससुर उसके बनाए खाने में कमी निकालते थे । उसने एक खाना बनाने वाली ब्राह्मणी को रख दिया । आप जो चाहे उस से बनवा कर खाएं । जो कामवाली बाई आती थी उससे कहा कि सास-ससुर के कपड़े भी धो दे । पहले वह खाना खुद बनाती थी । अपना वेतन अब वह अपने हिसाब से खर्च करती थी । रवि को भी उसने समझाया । देखो हम दोनों जीवन साथी हैं । हमें जिंदगी भर एक दूसरे का साथ निभाना है । अगर हम हँसी-खुशी साथ रहेंगे तो अच्छे से बीत जाएगा । वरना जैसा चल रहा है ठीक है चलने दो ।
राधिका के मम्मी पापा को राधिका की चिंता होती । राधिका मम्मी पापा से कहती आप चिंता ना करो मैं ठीक हूँ । फिर भी उसके मम्मी पापा का दिल नहीं माना । वह 3 महीने बाद उससे मिलने पहुँचे । राधिका को उसके घर में ठीक देखकर वह खुश हुए । राधिका भी मम्मी पापा को देख कर खुश हुई । रवि उन्हें देखकर खुश नहीं हुआ । वह जब कॉलेज चला गया, राधिका ने अपने मम्मी पापा को बताया मैंने सब संभाल लिया है । राधिका के पापा दीपक ने कहा रवि में तो कोई सुधार नहीं है ।
राधिका ने अपने मम्मी पापा से कहा मैंने अपने गृहस्थ जीवन को लेकर सोचा है। मैं रवि को 1 साल का वक्त दूँगी । अगर वह सुधरता है तो ठीक है। नही तो मैं उससे अलग हो जाऊँगी । उसके साथ घुट घुट कर जिंदगी नहीं बिताऊंगी । मम्मी पापा मेरा फैसला सही है ना ? उसके मम्मी पापा ने कहा बेटा हम हर हाल में तेरे साथ हैं । तेरा जो भी फैसला होगा हमें मंजूर है ।
राधिका के पापा ने पूछा मेरी बेटी में इतनी हिम्मत कैसे आई ? राधिका ने बताया । इस बार जब मैं घर से आई थी तो सोच कर आई थी । अपना सहारा खुद बनूँगी। किशोर ने भी मेरा हौसला बढ़ाया । वह कहता है दीदी तुम हिम्मत करो । तुम सब कुछ कर सकती हो । दो-तीन दिन राधिका के पास रहकर रमा और दीपक मथुरा लौट गए । किशोर से कहा बहन का ध्यान रखना ।
रवि अब राधिका को परेशान करने के लिए नए नए पैंतरे आजमाता । लेकिन राधिका परेशान ही नहीं होती । 1 दिन राधिका ने रवि से पूछा आपको मुझसे क्या परेशानी है ? आप मेरे साथ रहना चाहते हैं या नहीं । रवि ने कहा मैं तुम्हारे साथ रहना तो चाहता हूँ। पर मैं एक अच्छा पति नहीं हूँ । यह मैं जानता हूँ। इसलिए तुम्हें परेशान करता रहता हूँ ।
6 महीने बाद रवि का एक दोस्त राजेश उनके घर आया । राधिका मथुरा गई हुई थी । जब उसने रवि से उसके और राधिका के बारे में पूछा तो रवि ने बताया राधिका तो अच्छी जीवनसाथी है । मैं ही अच्छा जीवन साथी नहीं बन पाया । राजेश ने रवि से कहा अभी भी वक्त है । संभल जा नहीं तो बाद में मेरे भैया की तरह पछतायेगा ।
रवि ने पूछा क्या हुआ ? राजेश ने बताया मेरी भाभी बहुत अच्छी थी अच्छी पत्नी अच्छी बहू ।
हमारे परिवार में सभी भाभी को बहुत पसंद करते थे । भैया उन्हें पसंद नहीं करते थे । हमेशा परेशान करते । शादी के 2 साल बाद प्रसव के समय भाभी और शिशु दोनों नहीं रहे । भाभी को अस्पताल ले जाने में भैया की वजह से देर हुई । अब भैया इस बात को याद कर बहुत पछताते हैं। हर समय भाभी को याद करते हैं और कहते हैं मैं अच्छा पति नहीं बन पाया ।
राजेश तो वापस चला गया । लेकिन उसके भैया की कहानी सुनकर रवि को लगने लगा । यदि मेरे साथ भी ऐसा कुछ हो जाए तो क्या हो ? मैं क्यों अपने गृहस्थ जीवन को बर्बाद कर रहा हूं ? अभी तक जो हुआ वह ठीक नहीं था । अब मुझे सब ठीक करने की कोशिश करनी होगी ।
राधिका जब अपने मम्मी पापा से मिलकर लौटी । तो एक नया रवि उसका इंतजार कर रहा था । उसने राधिका से कहा राधिका मेरी अब तक की सभी गलतियों को सुधारने के लिए एक मौका दोगी । यह सुनकर राधिका की आंखों से आँसू बहने लगे। उसने कहा हम एक कोशिश जरूर करेंगे ।
अब रवि राधिका का ध्यान रखता है। उसे प्यार करता है । अच्छा जीवन साथी बन गया है ।शादी के 4 साल बाद अब वह दोनों दो से तीन होने के बारे में सोच रहे हैं । रमा और दीपक अपनी बेटी की खुशहाली से बहुत खुश हैं । अब वह किशोर के लिए लड़की ढूँढ़ने की तैयारी कर रहे हैं। रवि ने अपने माता-पिता को समझाया है । वह भी अब राधिका को परेशान नहीं करते । उसका ध्यान रखते हैं ।