नंदिनी अपने बेटे अरुण को लेकर बहुत परेशान है । वह बहुत शैतान बच्चा है । वह अभी 5 साल का है । हर समय शैतानी करता रहता है । पढ़ने का तो उसके सामने नाम ही मत लो । वह पढ़ता ही नहीं है । नंदिनी अरुण को पढ़ाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सब आजमा चुकी है । वह किसी भी तरह उसके काबू में नहीं आता । सोने पर सुहागा यह कि उसके पति आकाश को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अरुण पढ़ाई नहीं करता । इसलिए उनकी तरफ से नंदिनी को कोई मदद नहीं मिलती ।
अरुण अकेले में तो नंदिनी का कहना मान भी लेता है । लेकिन जब उसके पापा आकाश घर पर होते हैं । तब वह नंदिनी की कोई बात नहीं मानता क्योंकि उसके पापा उसका पक्ष लेते हैं ।
नंदिनी हर समय यही सोचती रहती है कि वह ऐसा क्या करे ? कि अरुण का मन पढ़ाई में भी लगे । अरुण में बुद्धि की कोई कमी नहीं है । बस वह उसे शैतानियो में लगाता है । नंदिनी ने अपनी समस्या के बारे में अपनी सहेली शीला को बताया । शीला ने उससे कहा तुम अरुण की काउंसलिंग कराओ । उसे किसी मनोवैज्ञानिक को दिखाओ ।
नंदिनी अरुण को लेकर मनोवैज्ञानिक दीपा के पास गई । दीपा ने नंदिनी को बाहर भेजकर पहले अरुण से बात की । नंदिनी ने उसे बता दिया था कि वह पढ़ाई नहीं करता । मनोवैज्ञानिक दीपा ने अरुण से पूछा बेटा तुम्हें पढ़ाई करने में मजा आता है । अरुण ने कहा मुझे पढ़ाई करना अच्छा नहीं लगता । खेलना अच्छा लगता है । दीपा ने अपनी नर्स से कहा वह बाहर अरुण का ध्यान रखें और नंदिनी को अंदर भेज दे ।
जब नंदिनी मनोवैज्ञानिक दीपा के केबिन में पहुँची। तो दीपा ने नंदिनी से कहा अभी तो अरुण का मन पढ़ने में कम लगता है । हम मेहनत करेंगे तो वह पढ़ाई करने लगेगा । नंदिनी ने कहा मैं जानती हूं । अरुण कम से कम इतनी तो पढ़ाई करें कि वह अगली कक्षा में पहुँच जाए । दीपा ने पूछा उसे कौन सा खेल खेलना अच्छा लगता है ? आप उस खेल की ट्रेनिंग शुरू करवाइए ।
नंदिनी ने कहा उसे बैडमिंटन खेलना अच्छा लगता है । दीपा ने कहा आप उसकी बैडमिंटन की ट्रेनिंग शुरू करवाइये । देखिए उससे फर्क पड़ेगा ।
नंदिनी ने अरुण की बैडमिंटन की ट्रेनिंग शुरू करवा दी । अब अरुण शाम को 5:00 बजे से 6:00 बजे तक बैडमिंटन सीखने लगा । उसे यह सब करना अच्छा लगता था । वह नंदिनी से कहता मम्मी मैं ज्यादा देर तक बैडमिंटन खेलूँगा। नंदिनी कहती बेटा पढ़ाई भी तो करनी है । अगर तुम कल विद्यालय से आकर पढ़ाई कर लोगे तो हम यहाँ पर ज्यादा देर तक रुकेंगे ।
अगले दिन विद्यालय से आकर खाना खाकर अरुण ने कहा माँ मैं गृह कार्य करके आराम करूँगा । उसके बाद हम बैडमिंटन खेलने जाएंगे । नंदिनी ने कहा ठीक है ।
दो महीने बाद अरुण मे इतना सुधार हो गया । अब वह विद्यालय का गृह कार्य समय पर कर लेता है । नंदिनी ने डॉक्टर दीपा से पूछा अब क्या करें ? डॉक्टर दीपा ने कहा अरुण में बुद्धि ज्यादा है । ऐसे बच्चे बहुत चंचल होते हैं । अगर हम उन्हें उनके मनपसंद काम में व्यस्त कर दें । तो वह बाकी काम भी ठीक से करने लगते हैं । इसीलिए मैंने अरुण को बैडमिंटन सिखाने के लिए कहा था । अब आप उस पर इसी तरह से ध्यान दीजिए ।
6 महीने बाद जब अरुण की परीक्षा हुई तो वह बी ग्रेड लाया । नंदिनी आज बहुत खुश है । वह जानती है उसका बेटा अरुण मध्यम दर्जे का विद्यार्थी है। ठीक है अब वह उसकी बैडमिंटन की कोचिंग पर भी ध्यान दे रही है ।
4 साल बाद जब अरुण 10 वर्ष का हो गया । वह अपने विद्यालय में बैडमिंटन का खिलाड़ी माना जाता है । उसने बहुत सारी प्रतियोगिताएं जीती हैं ।
अब आकाश भी नंदिनी से कहते हैं अरुण को सही रास्ते पर लाने के लिए तुमने बहुत मेहनत की है । अब सब अरुण से बहुत प्यार करते हैं ।