अरुण और आकाश अच्छे दोस्त थे । दोनों कक्षा एक से एक साथ पढ़ रहे थे । दोनों का घर भी पास पास थे । दोनों एक दूसरे के साथ काफी समय बिताते थे । दोनों अब पांचवी कक्षा में आ गए थे ।
अरुण अपने मम्मी पापा के साथ रहता था । आकाश अपने दादा दादी के साथ रहता था । आकाश के पापा की मृत्यु हो चुकी थी । वह तो उसके पास नहीं आ सकते थे । लेकिन उसकी मां होकर भी वह बिना मां के जीवन बिता रहा था । उसके नाना नानी ने उसकी मां की दूसरी शादी कर दी थी । उनके दूसरे पति ने शादी से पहले ही कह दिया था । वह आकाश को नहीं अपनायेगा ।
आकाश की माँ उससे मिलने कभी-कभी उसके दादा दादी के घर आ जाती थी । आकाश के दादा दादी के पास पैसे की कमी न थी । वह उसकी हर इच्छा पूरी करते । उसे प्यार भी बहुत करते । वह उनके बेटे की आखिरी निशानी जो था ।
लेकिन वह उसके जीवन में माता-पिता की कमी पूरी नहीं कर सकते थे । आकाश जानता था पापा तो भगवान के पास चले गए । वापस नहीं आ सकते । लेकिन माँ तो उसे अपने पास रख सकती है । वह उसे अपने पास क्यों नहीं रखती । लेकिन उसकी माँ इस समाज की वजह से मजबूर थी ।
जहां दो बच्चों के पिता की शादी तो बड़े आराम से कुंवारी कन्या से भी हो जाती है और वह उसके उन बच्चों को पालती है ।वही एक मां को अगर दूसरी शादी करनी है तो कुंवारा तो छोड़िए कोई ऐसा आदमी जिसकी पत्नी का निधन हो गया है वह भी उससे शादी करेगा तो उसके बच्चे को नहीं अपनाना चाहता ।
आकाश इस कारण बहुत दुखी रहता था । लेकिन उसे नहीं पता था जिंदगी अभी उसे और दुखी करने वाली है । उसके दादा-दादी की एक कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई । आकाश एक 10 साल का बच्चा जिसके पास पैसा तो है । लेकिन प्यार और देखभाल करने वाला कोई नहीं क्योंकि उसके दादा-दादी उसे अपना वारिस बना गए थे ।
ऐसी परिस्थिति में आकाश की मां ने अपने पति से पूछा क्या मैं आकाश को यहां ला सकती हूँ ।उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं । उसके पति ने कहा नहीं तुम उसका दाखिला किसी बोर्डिंग स्कूल में करा दो ।
आकाश की मां को अपनी विवशता पर बहुत गुस्सा आया । लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी । उसने आकाश का दाखिला एक बोर्डिंग स्कूल में करा दिया । अब आकाश और अरुण एक दूसरे से दूर हो गए । आकाश अपनी मां से नफरत करने लगा । वह छुट्टियों में भी घर नहीं जाता था । इस तरह 8 साल बीत गए । आकाश की स्कूल की पढ़ाई पूरी हो गई ।आगे उसने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया । उसने अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगा दिया । उसके दोस्त ही उसकी जिंदगी थे ।
4 साल बाद आकाश इंजीनियर बन गया और नौकरी करने लगा । लेकिन इन 12 वर्षों में उसने बहुत अकेलापन महसूस किया था ।
एक दिन उसकी मां उसके पास आयी और उससे कहा बेटा मुझे माफ कर दो । मेरे होते हुए तुम्हें अनाथों की तरह रहना पड़ा । आकाश ने कहा मैं आपको माफ नहीं कर सकता । मेरे जीवन में प्यार नहीं नफरत है । मैं आपसे कभी प्यार नहीं कर पाऊंगा । आप मुझसे मिलने मत आना । आकाश की मां घर वापस जाते समय सोचने लगी मेरी वजह से मेरा बेटा कितना अकेला हो गया । काश मैंने दूसरी शादी न की होती । आकाश के दादा दादी की मृत्यु के बाद उसे अपने पास रख पाती तो वह एक खुशमिजाज बच्चा होता ।