नेहा आज बहुत खुश थी क्योंकि उसकी शादी अरुण से हो रही थी अरुण और नेहा एक दूसरे को पसंद करते थे । दोनों ने एक ही कॉलेज से एमबीए किया था । दोनों की अलग-अलग कंपनी में नौकरी लग गई थी । जब दोनों ने अपने अपने घर में एक दूसरे के बारे में बताया तो दोनों के घर वाले तैयार हो गए । उन दोनों की सगाई हो गई थी । एक हफ्ते बाद शादी थी । सभी शादी की तैयारियों में लगे थे ।
दोनों की शादी धूमधाम से संपन्न हुई । शादी के बाद दोनों हनीमून मनाने केरल चले गए । वहां से लौटकर आए तो दोनों की छुट्टियां खत्म हो गई थी । दोनों ऑफिस जाने लगे ।
अरुण एक भाई एक बहन था । उसकी बहन उस से छोटी थी । उसका नाम आयुषी था । वह कॉलेज में पढ़ती थी । अरुण के पापा एक नामी वकील थे । अरुण की मम्मी एक होममेकर थी । यह सब तो ठीक था । लेकिन अरुण की मम्मी अपने बेटे बहू की जिंदगी में हस्तक्षेप करने लगी ।
वह चाहती थी उनकी बहू ऑफिस के साथ साथ घर भी संभाले । सुबह सबका नाश्ता बनाकर खिला कर जाए । दिन में तो नेहा घर पर नहीं होती थी । रात के डिनर की जिम्मेदारी भी नेहा की थी ।
वह सुबह 8:00 बजे जाती रात को 8:00 बजे आती । उसका ऑफिस दूर था । कैब से जाने में एक घंटा लगता था । लौटने में डेढ़ घंटा लग जाता क्योंकि रास्ते में ट्रैफिक जाम मिलता था ।
डिनर तैयार करने के लिए उसे ऑफिस से आते ही लगना पड़ता । सब लोग 9:00 बजे डिनर करते थे । घर में नौकर तो थे । लेकिन खाना अरुण की मम्मी बनाती थी । बहू के आने पर वह अब आराम करना चाहती थी ।इस वजह से नेहा को सोमवार से शुक्रवार आराम नहीं मिल पाता था । शनिवार ,इतवार को जब छुट्टी होती । तब लंच बनाने की जिम्मेदारी भी नेहा की होती ।
यदि नेहा और अरुण कहीं घूमने जाते तो उसकी मम्मी भी साथ में चल देतीं । शादी के बाद उन्हें अकेले रहने का वक्त ही नहीं मिलता था । नेहा और अरुण दोनों परेशान रहते क्या करें ? उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था । अरुण के पापा बहुत व्यस्त रहते थे ।
नेहा ने अरुण से कहा तुम माँ से बात करो । कभी-कभी तो हमें अकेले जाने दिया करें । कभी साथ चला करें । अरुण ने मां से बात की लेकिन वह समझना ही नहीं चाहती थी । आयुषी ने भी माँ को समझाया आप कभी कभी मेरे साथ बाहर चला करो । कभी भैया भाभी के साथ चली जाया करो । पर वह नहीं मानी ।
अब अरुण ने अपने पापा से बात की । पापा हम क्या करें ? मम्मी मुझे और नेहा को कहीं अकेले नहीं जाने देती । उसके पापा ने कहा मैं तो तुम्हारी मम्मी को समय ही नहीं दे पाता । लेकिन अब से मैं कोशिश करूंगा रविवार को दोपहर तक ही काम करूंगा । उसके बाद का समय तुम्हारी मम्मी के साथ गुजारा करूंगा ।
अरुण के पापा ने जो अरुण से कहा था वह किया । रविवार को सुबह अरुण के पापा ने अरुण की मम्मी से कहा आज शाम को हम दोनों फिल्म देखने चलेंगे । डिनर भी बाहर करेंगे । अरुण की मम्मी ने कहा बच्चों को भी साथ ले चलते हैं । अरुण के पापा ने कहा बच्चे भी बाहर जाएंगे । पर हम दोनों अकेले ही जाएंगे ।
उस रविवार अरुण और नेहा अकेले घूमने गए। आयुषी की सहेली का जन्मदिन था । वह वहां चली गई । मम्मी पापा ने आयुषी से कहा लौटते में हम तुम्हें ले आएंगे । उस रविवार बहुत महीनों बाद अरुण और नेहा को साथ रहने का वक़्त मिला ।
अरुण की यह समस्या दूर हुई तो अब दूसरी समस्या आ गई । अरुण की बुआ अरुण के घर आ रही थी । वह थोड़े पुराने विचारों की थी । अरुण की मम्मी ने कहा बेटा तुम बुआ के सामने साड़ी और सूट ही पहनना । ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ले लो । नेहा के ऑफिस में जरूरी प्रोजेक्ट चल रहा था । उसे छुट्टी नहीं मिल सकती थी ।
अरुण ने मम्मी को समझाया मम्मी नेहा को छुट्टी नहीं मिल पाएगी । जब वह ऑफिस जाएगी तो ऑफिस के ड्रेस कोड का पालन करना पड़ेगा । घर पर जब होगी तब सूट पहन लेगी । मम्मी नाराज हो गई ।
1 दिन बाद बुआ जी आ गई । नेहा ने सूट पहना था । मम्मी ने साड़ी पहनी । बुआ जी आई तो उन्होंने खुद सूट पहना हुआ था । उन्हें देखकर सब आश्चर्यचकित हो गए । बुआ जी हंसते हुए बोली मेरी बहू ने मुझसे कहा मम्मी सफर में सूट मे आराम रहेगा । वह सच कह रही थी सच में बहुत आराम रहा । बुआ जी नेहा से बोली तुम ऑफिस सूट पहन कर जाती हो । मेरी बहू तो कभी सूट पहनकर जाती है कभी पेंट शर्ट कभी साड़ी पहन कर जाती है ।
नेहा की इस समस्या का समाधान भी हो गया । नेहा नाश्ता तैयार करके सबको डाइनिंग टेबल पर परोस करके गई । दोपहर का भोजन अरुण की मम्मी ने बनाया । रात को 8:00 बजे आकर नेहा कपड़े बदल कर रसोई में रात के खाने की तैयारी करने लगी । रात के 9:00 बजे उसने डिनर तैयार कर दिया । सब ने खाना खाया । उसके बाद कुछ देर गपशप करके सोने चले गए ।
नेहा ने रसोई का काम समेटा और सोने चली गई । नेहा की व्यस्त दिनचर्या को देखकर बुआ जी ने अरुण की मम्मी से कहा नेहा सोमवार से शुक्रवार बहुत व्यस्त रहती है । तुम उसकी कुछ मदद क्यों नहीं कर देती । अरुण की मम्मी ने कहा सारी जिंदगी तो काम किया अब बहू के आने पर आराम भी ना करूं । बाकी सब काम तो काम वाले हैं कर देते हैं केवल खाना जो मैं बनाती थी वह जिम्मेदारी उसे दी है । इतना तो कर ही सकती है । बुआ जी ने कहा कर सकती है कर भी रही है । यदि तुम उसकी थोड़ी मदद कर दोगी तो उसे अच्छा लगेगा ।
अभी उसकी शादी को कुछ ही महीने हुए हैं । यह समय उनके जीवन में वापस नहीं आएगा । एक दो साल बाद बच्चे हो जाएंगे तब उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाएगी ।
हर पीढ़ी को आने वाली पीढ़ी के साथ एक जेनरेशन गैप लगता है । हमें और हमारे बेटे बहू दोनों को ही एक दूसरे को समझना चाहिए । जिससे हमारे बीच आपसी प्यार बढे । अगर अरुण और नेहा की कोई बात सही है तो उसे मान लो तुम्हारी जो बातें सही हैं उन्हें वे लोग मानेंगे । मुझे देखो अपनी बहू के आने के बाद मैं कितनी बदल गई हूं । बुआ जी बोली हम नौकरीपेशा बहू तो चाहते हैं लेकिन उसके घर के कामों की उम्मीद भी करते हैं । बहुए करती भी हैं । पर कभी वह लेट हो रही हो तो तुम उसकी मदद कर दो । तुम्हारी गृहस्ती की गाड़ी बढ़िया चलेगी ।
आज नेहा को ऑफिस में देर हो गई । मीटिंग देर तक चलती रही ।ऊपर से रास्ते में जाम मिल गया । नेहा 8:45 बजे घर पहुंची । वह सोच रही थी आज तो मम्मी की डांट पड़ेगी । लेकिन जब घर के अंदर पहुंची । देखा मम्मी और बुआ जी दोनों ने मिलकर डिनर तैयार कर दिया था । नेहा ने दोनों को धन्यवाद दिया और देर से आने के लिए माफी मांगी ।
बुआजी ने कहा बेटा ना माफी मांगो ना धन्यवाद कहो । तुमने जानबूझकर देर थोड़े ही की है । ऑफिस में कभी-कभी ज्यादा काम हो जाता है ।
अब नेहा और अरुण बहुत खुश थे ।उनकी शादी के बाद घर में जो सामंजस्य नहीं हो पा रहा था । अब हो रहा था सब एक दूसरे को समझ रहे थे । यही तो था उनका खुशहाल परिवार ।