शीला और उसके पति अविनाश दोनों बहुत अच्छे डॉक्टर हैं । व्यस्त तो वह दोनों हमेशा रहते थे ।आजकल कोरोनावायरस की वजह से और ज्यादा व्यस्त हैं । एक हफ्ते से दोनों अपने घर भी नहीं जा पाए हैं । अस्पताल में ही ड्यूटी चल रही है । घर पर अविनाश के माता पिता और उनके दोनों बच्चे अंकुर और अंकित हैं । अंकुर 10 साल का है अंकित 8 साल का है ।
शीला और अविनाश माता-पिता और बच्चों से वीडियो कॉलिंग से बात कर लेते हैं । सब ठीक चल रहा था । एक दिन अविनाश के पापा का फोन आया । बेटा जल्दी से घर आ जाओ । शीला और अविनाश दोनों चिंतित हो गए । अस्पताल में बोलकर दोनों अपने घर पहुंचे ।
घर पहुँच कर उन्होंने देखा सोसाइटी के लोग दो ग्रुप में बँटे हुए थे । एक ग्रुप ने उनका ताली बजाकर स्वागत किया । दूसरा ग्रुप मुँह फुलाकर खड़ा था । उनका कहना था शीला और अविनाश भी सोसाइटी में कोरोना बीमारी ला सकते हैं । इसलिए या तो वह अस्पताल जाना बंद करें या कहीं और चले जाएं ।
अविनाश ने पुलिस को फोन किया । पुलिस के आने पर उसने दूसरे ग्रुप की शिकायत पुलिस से की । पुलिस इंस्पेक्टर ने दूसरे ग्रुप को समझाया । आप खुद बीमार होंगे तो आपको डॉक्टर चाहिए ।जब इतनी बड़ी महामारी फैली है । जिससे संक्रमित लोगों का डॉक्टर इलाज कर रहे हैं । उन्हें बचा रहे हैं । तुम उन पर गर्व करने की जगह उनके परिवार को परेशान कर रहे हो । कितने शर्म की बात है?
पहले ग्रुप ने इंस्पेक्टर से कहा आप परेशान ना हों । हम शीला और अविनाश के साथ हैं । जो अपनी जान की परवाह न करके अपना सेवा का धर्म निभा रहे हैं । अपने बच्चों और माता-पिता को छोड़कर मरीजों की सेवा में लगे हैं ।
पुलिस के जाने के बाद शीला और अविनाश अपने घर गए । एक दिन घर पर आराम करके जब वह अस्पताल जा रहे थे तो परेशान थे । कहीं कुछ लोग उनके माता-पिता और बच्चों को परेशान ना करें । तभी उनके कुछ पड़ोसी उनके घर आए और शीला और अविनाश से बोले आप लोग आराम से अस्पताल जाएं ।
पीछे से अंकल आंटी और बच्चों का ध्यान हम रखेंगे ।
अब शीला और अविनाश बिना किसी चिंता के मरीजों की सेवा कर रहे हैं । उन्हें पता है उनकी सोसायटी के मित्र उनके साथ हैं कुछ दिनों बाद दूसरे ग्रुप को भी अकल आ गई अब वह भी शीला अविनाश और उनके परिवार की मदद करते हैं ।