रवि और सविता अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल जिंदगी में संतुलन बना रहे थे । अमर और तान्या एक दूसरे के और करीब आ रहे थे । शैली आजकल कुछ उदास रहती थी ।
तान्या ने शैली से पूछा क्या बात है ? शैली ने बताया मम्मी बीमार है । मैं उनसे मिलने नहीं जा पा रही हूं । तान्या ने कहा कोई भी काम मम्मी पापा से बड़ा नहीं होता । अगले दिन ऑफिस में शैली ने बॉस से बात की । उन्होंने उसे एक हफ्ते की छुट्टी दे दी । तान्या ने बॉस से कहा शैली को जो रिपोर्ट जमा करनी थी । वह हम दोनों मिलकर आज समाप्त कर देंगे और जमा कर देंगे ।
एक हफ्ते बाद शैली लौटी तो बहुत खुश थी । उसकी मम्मी अब ठीक थी । अमर और तान्या के 6 महीने पूरे होने वाले थे । अमर और तान्या को वापस दिल्ली जाना था । वह दोनों शैली के बारे में सोचने लगे । शैली ने बताया मुझे एक साल और मुंबई में रहना होगा । परेशान मत हो तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगी ।
कुछ दिन बाद अमर और तान्या दिल्ली वापस आ गए । उनकी शादी 3 महीने बाद होनी तय हुई ।वह दोनों शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गए । रवि और सविता भी उनकी मदद कर रहे थे । दोनों के परिवार और सविता के मम्मी पापा अपनी तैयारियों में व्यस्त थे । धीरे-धीरे करके काम पूरे होते जा रहे थे । शैली फोन से मदद कर रही थी । कभी-कभी निशा भी आ जाती ।
शादी को 3 दिन बचे थे । सब इकट्ठे हुए शैली भी मुंबई से आ गई थी । सब ने मिलकर खूब धमाल मचाया । अमर और तान्या की शादी धूमधाम से संपन्न हुई । सब लोग बहुत खुश थे ।
शादी के बाद सभी अपने अपने काम में व्यस्त हो गए । अमर और तान्या का ऑफिस पास था तो एक साथ चले जाते , आ जाते । रवि और सविता तो एक ही फैशन हाउस में काम करते थे । किसी छुट्टी के दिन चारों इकट्ठे होकर मिल बैठते । अमर और सविता की मम्मी बहुत खुश थी ।
2 साल बाद सविता और तान्या एक साथ मां बनने वाली थी । सभी उनका बहुत ध्यान रखते । अमर और तान्या के बेटी हुई । रवि और सविता के बेटा हुआ । रमा (अमर की मम्मी) गीता (सविता की मम्मी) दोनों कहने लगी जब यह बड़े होंगे तो इनकी शादी कर देंगे । अमर और सविता ने कहा नहीं अभी कुछ तय मत करो । जब यह दोनों बड़े हो जाएंगे यही तय करेंगे ।
शादी के 5 साल बाद अमर और तान्या अपनी नौकरी में विदेश चले गए । लेकिन फोन से एक दूसरे से बात करते रहते थे । 2 साल बाद वह लौट कर आ गए । इन 5 सालों में शैली और निशा को भी अपने मिस्टर राइट मिल गए थे । वह भी अपनी जिंदगी में खुश थी ।
इसी तरह 10 साल बीत गए ।अमर और तान्या की बेटी और रवि और सविता का बेटा 14 साल के होने वाले थे । जन्मदिन की तैयारियां दोनों घरों में जोर-शोर से चल रही थी ।
जन्मदिन से 1 दिन पहले अमर और तान्या का ऑफिस से लौटते समय एक्सीडेंट हो गया । दोनों को हॉस्पिटल में दाखिल करवाया गया । दोनों की स्थिति बहुत गंभीर थी । तुरंत रवि और सविता हॉस्पिटल पहुंचे । अमर को खून दिया जाना था । सविता और अमर का ब्लड ग्रुप एक था । सविता ने अमर को अपना ब्लड दिया । उसकी स्थिति में सुधार होने लगा । तान्या कोमा में चली गई । उसे शारीरिक रूप से ज्यादा चोट नहीं आई थी ।
एक हफ्ते में अमर की स्थिति में काफी सुधार हुआ । डॉक्टर ने कहा अगर 24 घंटे में तान्या कोमा से बाहर नहीं आई तो कुछ भी हो सकता है । सब तान्या के लिए प्रार्थना करने लगे ।
अमर और सविता तान्या से बात करने लगे । सभी की प्रार्थना का असर हुआ । तान्या कोमा से बाहर आ गई । एक हफ्ते और हॉस्पिटल में रहकर दोनों को छुट्टी मिल गई । 15 दिन घर पर आराम करके दोनों ऑफिस जाने लगे ।
अमर और सविता की अटूट दोस्ती को सबने माना । अमर और सविता ने कहा हमारी दोस्ती तो हमेशा रहेगी । लेकिन हम दोनों के जीवन साथी तान्या और रवि भी बधाई के पात्र हैं । जिन्होंने हमारी दोस्ती को समझा और उसे निभाने में हमारी मदद की । जब तक यह जीवन है हमारी दोस्ती रहेगी ।