नेहा ने भगवान से प्रार्थना की अभिषेक को सही सलामत वापस भेज दे । वह अभिषेक से नफरत तो करती थी । लेकिन अभिषेक के लिए उसके दिल में थोड़ा सा प्यार भी था । एक महीना बीत गया । अभिषेक का कहीं पता नहीं चल रहा था । कुछ सैनिक बर्फ के तूफान में फंसे मिले । कुछ बॉर्डर के पास ही मिले वह शहीद हो चुके थे ।
सेना के जितने अफसर और सैनिक गायब हुए थे । उनमें से अभिषेक और आकाश दोनों अभी तक लापता थे । बाकी सब मिल गए थे । सेना द्वारा संदेह व्यक्त किया जा रहा था या तो वह दुश्मन देश के सैनिकों के हाथ लग गए या बर्फ के तूफान में बहुत नीचे दब गए ।
नेहा के मम्मी पापा रमा और अमर कुछ दिन रुक कर वापस चले गए । नेहा कुछ दिन और रुकी । फिर वह भी वापस चली गई । उसके विद्यालय खुल गए थे । रमेश जी और सविता जी बहुत परेशान थे । अभिषेक और आकाश का कुछ पता नहीं चल रहा था ।
नेहा अपने विद्यालय तो पहुँच गई थी । लेकिन उसका मन नहीं लग रहा था । उसे सविता जी और रमेश जी का उदास चेहरा याद आता । अभिषेक की भी याद आती । जब वह उससे माफी माँग रहा था । जब उसने उसे अच्छे भविष्य की शुभकामनाएं दी । नेहा छुट्टी लेकर वापस रमेश जी और सविता जी के पास आ गई । वह उन दोनों का ध्यान रखती । उन्हें समझाती और खाना खिलाती । नेहा कहती जब अभिषेक वापस आएगा तो उसे आप दोनों स्वस्थ मिलने चाहिए ।
धीरे-धीरे 6 महीने बीत गए । सेना की तरफ से कोई खबर नहीं आई थी । नेहा ने अपने विद्यालय से बिना वेतन के छुट्टी ले ली थी । वह रमेश जी और सविता जी को इस हालत में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी । नेहा उन दोनों की निराशावादी बातों का अपनी आशावादी बातों से उत्तर देती । नेहा को भरोसा था कि अभिषेक जिंदा है और जल्दी ही वापस आएगा ।
धीरे-धीरे एक साल बीत गया । अभिषेक की कोई खबर नहीं आई । नेहा ने अपना स्थानांतरण रमेश जी के शहर के विद्यालय में ही करा लिया था । नेहा अपनी नौकरी के साथ-साथ रमेश जी और सविता जी का भी ध्यान रख रही थी । अभिषेक के मम्मी पापा का भरोसा कभी कमजोर पड़ने लगता । लेकिन नेहा का भरोसा कभी नहीं टूटा ।
2 महीने बाद सेना मुख्यालय से रमेश जी के पास फोन आया । आपका अभिषेक चंडीगढ़ के सेना अस्पताल में है । आप वहाँ पहुंचिए । रमेश जी ने तुरंत फ्लाइट के टिकट बुक कराए । अगले दिन रमेश जी , सरिता जी ( अभिषेक के मम्मी पापा ) और नेहा चंडीगढ़ पहुँचे । एयरपोर्ट पर सेना की गाड़ी उनका इंतजार कर रही थी । वह उसमें बैठकर अस्पताल पहुँचे । वहां उन्हें अभिषेक के कमरे में पहुँचाया गया । अभिषेक अभी दवाइयों के नशे में सो रहा था ।
अभिषेक की देखभाल कर रहे डॉ और अधिकारी ने बताया । अभिषेक कोमा में चला गया था । एक साल दो महीने से वह कोमा में था । बर्फ के तूफान में वह बह गया था । गाँव वालों को वह नदी के किनारे मिला । वह उठाकर उसे गाँव के अस्पताल में ले गए । वहाँ के डॉक्टर ने उसका इलाज किया । फिर उसे शहर के अस्पताल में भेज दिया । उसकी वर्दी पानी में गल गई थी । तो गाँव वाले समझ नहीं पाए । वह सेना का जवान है । शहर के सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था ।
15 दिन पहले सेना के एक डॉक्टर किसी काम से सरकारी अस्पताल गए । तो उन्हें अभिषेक की रिपोर्ट भी दिखाई गई । वह अभिषेक को जानते थे । उन्होंने अभिषेक को चंडीगढ़ के सेना अस्पताल में शिफ्ट कराया । सेना मुख्यालय को खबर दी । जिसने रमेश जी को खबर दी । डॉक्टर ने कहा आज सुबह एक चमत्कार हुआ । एक नर्स का नाम नेहा था । जो डॉक्टर के साथ अभिषेक की देखभाल कर रही थी । डॉक्टर ने दो तीन बार नेहा ,नेहा कहा । नेहा जब आई तो उसने देखा अभिषेक को होश आ रहा था । नेहा ने डॉक्टर से कहा डॉक्टर अभिषेक को होश आ रहा है । कुछ देर में अभिषेक पूरी तरह होश में आ गया । तब डॉक्टर ने चेकअप करके उसे कुछ दवाइयाँ दी । जिनकी वजह से अभिषेक सो रहा था ।