बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

हमारे समाज में आज भी बेटों के माता-पिता होना गर्व की बात है । जिनके बेटियां हैं उन्हें लगता है हमारे पास कुछ कमी है । जबकि बेटियां भी अपने मां-बाप का नाम रोशन करती हैं ।आप उन्हें मौका तो दे उनके साथ तो खड़े हो ।

अर्चना यही सोच रखती थी पर सबकी सोच ऐसी नहीं होती । अर्चना की 2 बेटियां थी उसे तथा उसके पति अरुण को कभी ऐसा नहीं लगा कि कुछ कमी है ।

अर्चना के पड़ोस में शोभा रहती थी । उसके भी दो बेटियां थी लेकिन वह अब भी चाहती थी कि उसके एक बेटा हो । अर्चना उसको कई बार समझाती । आजकल महंगाई के जमाने में दो बच्चों का पालन पोषण भी ठीक से करना मुश्किल है ज्यादा बच्चे होंगे तो खर्च चलाना और मुश्किल होगा । शोभा कहती मैं तो एक चांस और लूंगी मेरा तीसरा बच्चा बेटा ही होगा ।

शोभा के तीसरी भी बेटी हो गई । वह बहुत दुखी रहती । हमेशा कहती मुझे बेटियां ही क्यों हुई । अर्चना उसे समझाती बेटा या बेटी होना अपने हाथ की बात नहीं है । यह तो अपने आप होता है । हां यदि दोष देना है तो पुरुषों को दो क्योंकि पुरुषों में ही एक्स और वाई दो अलग-अलग शुक्राणु होते है जब एक्स शुक्राणु मादा के अंडे से मिलता है तो बेटी होती है और जब वाई शुक्राणु मादा के अंडे से मिलता है तो बेटा होता है ।

समाज में यह बहुत बड़ी गलतफहमी है कि बेटे या बेटी होने के लिए स्त्री जिम्मेदार है ।यदि बच्चे नहीं होते तो स्त्री को दोषी ठहरा कर पुरुष की दूसरी शादी कर देते हैं ।जबकि स्त्री पुरुष दोनों को अपनी डॉक्टरी जांच करवानी चाहिए । जिसमें कमी होगी उसके इलाज के बाद उनके बच्चे हो जाएंगे ।

अर्चना ने शोभा को समझाया अब अपनी बेटियों की अच्छे से देखभाल कर । अर्चना अपनी दोनों बेटियों का ध्यान रखती । उन्हें पढ़ाई लिखाई के अलावा खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती । उसकी बेटियां भी मेहनत करती ।

अर्चना की बड़ी बेटी तनु को कुश्ती लड़ने का बहुत शौक था । वह साक्षी मलिक को अपना रोल मॉडल मानती और कहती मैं भी साक्षी मलिक की तरह अपने भारत देश के लिए मेडल लाऊंगी । अर्चना उसे समझाती अवश्य लाओगी । लेकिन उसके लिए तुम्हें बहुत मेहनत करनी होगी ।

तनु अपना सपना पूरा करने में जुट गई । तनु की छोटी बहन मनु डॉक्टर बनना चाहती थी । वह अपनी मेहनत कर रही थी । अर्चना दोनों को प्रोत्साहित करती ।

इधर शोभा बेटा ना होने से दुखी रहती । वह अपनी बेटियों पर भी ध्यान नहीं देती । कभी उन्हें डांट भी देती उसकी सोच यह थी बेटियां तो बड़ी होकर शादी करके दूसरे घर चली जाएंगी । हमारे बुढ़ापे का क्या होगा ? हमें कौन सहारा देगा ?

जब अर्चना ने देखा की शोभा तो कुछ समझती नहीं है तो उसने शोभा की बड़ी बेटी शिखा को समझाया । बेटा अपनी पढ़ाई में मेहनत करो काबिल बनो । ताकि तुम्हारी मां के दिमाग से यह बेटे का भूत उतरे । वह तुम लोगो की प्रशंसा करें ।

शिखा एक समझदार बच्चे थी । वह जानती थी आंटी ठीक कह रही हैं । वह एक शिक्षिका बनना चाहती थी । उसने अपने मन में ठान लिया मैं एक अच्छी शिक्षिका बनूंगी और समाज में फैली कुरीतियों के बारे में बता कर समाज को जागरूक करूंगी ।

शिखा अपनी दोनों बहनों साक्षी और शीला का भी ध्यान रखती । उन दोनों से कहती हमें अपने मम्मी पापा का नाम रोशन करना है । लेकिन वह दोनों कहती हम क्यों उनका नाम रोशन करें ?वह तो हमें प्यार ही नहीं करते । कभी हमे शाबाशी नहीं देते ।

शोभा अपनी बेटियों से कहती ज्यादा परेशान मत करो । शोभा के घर में हर समय तनाव रहता शांति का तो नाम ही नहीं था । उसकी बड़ी बेटी शिखा तो फिर भी समझदार थी । अपनी तरफ से शांति बनाए रखने का प्रयत्न करती । पर उसकी दोनों छोटी बहनों जैसे को तैसा वाले तरीके से रहती ।  मां हमें प्यार नहीं करती तो हम भी उन्हें परेशान करेंगे ।

इसी तरह दिन बीत रहे थे । 5 साल बाद अर्चना की बडी बेटी तनु ने राष्ट्रीय स्तर की कुश्ती प्रतियोगिता जीती । उसकी छोटी बेटी का मेडिकल कॉलेज में दाखिला हो गया । यह सब इसीलिए संभव हुआ क्योंकि अर्चना और अरुण दोनों अपनी बेटियों को प्रोत्साहित करते रहे ।
शोभा की बड़ी बेटी शिखा भी अपनी मेहनत और लगन से शिक्षिका बन गई । वह विद्यालय में पढ़ाने लगी । समाज में व्याप्त कुरीतियों के बारे में लोगों को समझाने लगी । उसकी दोनों छोटी बहने अपनी शैतानियां के कारण पढ़ाई में ध्यान नहीं देती थी । साक्षी को सिलाई करना अच्छा लगता था । शिखा ने उससे कहा तुम सिलाई का कोर्स कर लो । उसने उसका दाखिला साल भर के सिलाई कोर्स में करवा दिया । शीला को कंप्यूटर पर काम करना अच्छा लगता था तो उसने दसवीं के बाद उसे 1 साल के कंप्यूटर कोर्स में दाखिला दिलवा दिया ।

दोनों बहने अपनी रुचि के काम में मेहनत करने लगी । देखते ही देखते 1 साल बीत गया । दोनों बहनों का कोर्स पूरा हो गया । शिखा ने दोनों से कहा तुम दोनों अपना काम शुरू करो । उससे पहले अनुभव लो । साक्षी एक टेलर के यहां काम करने लगी । शीला एक कंप्यूटर सेंटर पर नौकरी करने लगी ।

1 साल तक काम करने के बाद दोनों ने अपना अपना काम शुरू किया । साक्षी ने अपनी टेलरिंग की शॉप खोली । शीला कंप्यूटर सेंटर पर ही काम करती रही ।

शोभा अपनी बेटियों से शादी करने के लिए कहती । वह तो अपनी बेटियों की जल्द से जल्द शादी करना चाहती थी।पर शिखा ने
उसे समझाया मा शादी से हमें कोई बैर नहीं है । पर हम शादी अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद करेंगे । फिर भी शोभा नहीं मानती उनके लिए लड़के ढूंढती रहती ।

अर्चना की बेटी तनु ने 2 साल तक अच्छे से तैयारी की । उसका चयन ओलंपिक में जाने वाली कुश्ती की भारतीय टीम में हो गया । सब बहुत खुश थे । तनु ने ओलंपिक में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया । सारे समाचार पत्र और टीवी के समाचारों में तनु की इस उपलब्धि की बहुत चर्चा हुई । सरकार की तरफ से इनाम भी मिला । नौकरी भी मिली ।तनु ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया ।

तनु की छोटी बहन मनु भी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करने लगी । वह लोगों को बेटे बेटी में भेदभाव न करने की सलाह देती ।

शोभा की तीनों बेटियों ने जो भी हासिल किया । वह काबिले तारीफ था । लेकिन उसमें शोभा का योगदान शून्य था । शिखा तो विनम्रता के कारण अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दे भी देती । पर उसकी दोनों छोटी बहने अपनी सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन शिखा को देती । कहती हमारी दीदी ने हमारा मार्गदर्शन किया । यदि दीदी ना होती तो हमारा भविष्य इस तरह सुरक्षित ना होता ।

समय आने पर शीला की तीनों बेटियों की बारी बारी से शादी हुई । तीनों अपने ससुराल में खुश हैं ।वह शीला का भी ध्यान रखती हैं । आज शीला को समझ आ रहा है अर्चना सही कहती थी ।बेटियों के साथ खड़े हो वह भी तुम्हारा नाम रोशन करेंगी । उसकी बेटी शिखा ने अपना और अपनी दोनों बहनों का भविष्य सभाल लिया ।मैंने तो उनकी भलाई के लिए कुछ भी नहीं किया ।