मन की आवाज़

रीमा आज बहुत उदास थी | उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करें? एक तरफ उसका बेटा था दूसरी और तथाकथित समाज| उसने अपने बेटे का इंजीनियरिंग में दाखिला करवाया था | शुरू में तो बेटा खुश था | लेकिन उसके नंबर अच्छे नहीं आए थे | उसके कॉलेज से फोन आया था | उन्होंने रीमा को कॉलेज बुलाया था |

रीमा जब कॉलेज पहुंची तो प्रधानाध्यापक महोदय ने बताया कि अरुण का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है | वह पता नहीं क्या सोचता रहता है | पढ़ने में उसका ध्यान ही नहीं है | उन्होंने रीमा से कहा कि वह वॉर्डन से भी मिलले | रीमा हॉस्टल के वार्डन मिश्रा जी के पास पहुँची | उन्होंने बताया कि अरुण वैसे तो अच्छा लड़का है | लेकिन वह पढ़ने में ध्यान नहीं लगाता | फोटो बड़े शौक से खींचता रहता है | उसके बारे में बात करो तो खुश रहता है |

रीमा कॉलेज में कार्यरत मनोवैज्ञानिक आशा से अरुण के साथ मिलने गई | मनोवैज्ञानिक आशा से अरुण तो एक बार मिल चुका था | रीमा पहली बार मिल रही थी | मनोवैज्ञानिक आशा ने पहले तो दोनों से बात की | फिर रीमा से कहा आप कुछ देर बाहर इंतजार करें | उन्होंने अरुण से पूछा तुम पढ़ाई मैं ध्यान क्यों नहीं दे पाते ? जबकि तुम 12वीं कक्षा तक अच्छे छात्र रहे हो | अरुण ने कहा इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मेरा मन नहीं लगता | मैं वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनना चाहता हूँ | उसे ही अपना कैरियर बनाना चाहता हूँ |

डॉ आशा ने अरुण को बाहर जाकर इंतजार करने के लिए कहा और रीमा को अंदर बुलाया | रीमा से आशा ने कहा आपका बेटा वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनना चाहता है | आप क्या चाहती हैं | रीमा ने कहा फोटोग्राफी तो उसकी हॉबी है | उसका कैरियर कैसे बनेगा ?

डॉ आशा ने कहा यदि आप अपने बेटे को स्वस्थ और खुश देखना चाहती हैं, तो यहाँ से ले जाए | उसकी रुचि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में नहीं है |

रीमा ने अपने पति आकाश और बड़े बेटे तरुण से फोन पर बात की और अरुण के बारे में सब बताया | दोनों ने कहा तुम अरुण को मेडिकल लीव पर 15 दिन के लिए घर ले आओ |

रीमा ने प्रधानाध्यापक से कहा कि अरुण को कुछ दिन के लिए मेडिकल लीव दे दें | प्रधानाध्यापक ने अरुण को 15 दिन की छुट्टी दे दी | रीमा अरुण को लेकर अपने घर लखनऊ आ गई | घर पर उसके पति आकाश और बड़ा बेटा तरुण उन दोनों का इंतजार कर रहे थे |

शाम के समय घर के चारों सदस्य इस समस्या के समाधान के लिए बैठे | अरुण के पापा आकाश एक प्रसिद्ध सी.ए. थे | उसका बड़ा भाई तरुण अभी-अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके चुका था | दोनों ने अरुण से पूछा क्या बात है ? पढ़ने में मन क्यो नहीं लगता ? अरुण ने कहा मुझे पढ़ाई में कुछ भी समझ नहीं आता | उसके पापा ने पूछा तुम क्या चाहते हो? उसने कहा मैं वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनना चाहता हूं |

अरुण के पापा ने कहा तुम वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के बारे में क्या जानते हो | वह बहुत मेहनत का काम है तुम कर पाओगे | जंगलों में घूम घूम कर फोटो खींचनी होगी।फोटो अच्छी होगी, वीडियो अच्छी बनाओगे, तभी फायदा होगा तुम्हारी पहचान बनेगी |

अरुण ने कहा मैं जानता हूं पापा मुझे बहुत मेहनत करनी होगी | रीमा ने कहा हमें इसे अपने को साबित करने का एक मौका देना चाहिए |

अरुण के भाई तरुण ने अपने पापा मम्मी से कहा अरुण को एक मौका देना चाहिए | जिसमें यह फोटोग्राफी का प्रशिक्षण लेगा और उसी की पढ़ाई करेगा | रीमा ने अरुण को फोटोग्राफी का प्रशिक्षण दिलवाना शुरू कर दिया | अरुण अच्छे से अपनी फोटोग्राफी की पढ़ाई और प्रैक्टिस करने लगा | वह काफी अच्छे फोटो खींचने लगा |

जब अरुण की कॉलोनी में पता चला अरुण इंजीनियरिंग कॉलेज से वापस आ गया है | तो सब उसकी आलोचना करने लगे |कोई कहता मम्मी पापा का पैसा बर्बाद करके आ गया | कोई कहता इंजीनियरिंग करके अच्छा कैरियर बनता फोटोग्राफी में क्या रखा है |

एक दिन अरुण अपने घर से मार्केट जा रहा था | रास्ते में गुप्ता अंकल मिल गए | बोले फोटो खींचते रहते हो, क्या फायदा ?पहले अच्छे से पढ़ाई कर लेते | अरुण को गुस्सा तो बहुत आया | पर कुछ बोला नहीं क्योंकि उसकी मम्मी कहती हैं | बड़ों से जुबान नहीं चलाते उनका सम्मान करते हैं | अरुण को मन में लगा बड़े भी तो ऐसे होने चाहिए जिन का सम्मान करने का मन करें |

अरुण ने ठान लिया मैं अपनी सफलता से सब को गलत साबित कर दूंगा |

5 साल बाद अरुण वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में अच्छी शुरुआत कर चुका है, उसकी खींची फोटो वर्ल्ड की सबसे अच्छी मैगजीन में छपी है | उसके वीडियो डिस्कवरी चैनल पर आते हैं |

अब सब बहुत खुश हैं | रीमा सोचती है हम सब ने अरुण का साथ दिया उसे समझा इसलिए वह आज अपने मनपसंद क्षेत्र में कैरियर बना कर खुश है | जो लोग कल तक उसकी आलोचना करते थे अब तारीफ करते हैं | रीमा सोच रही थी हमें अपने बच्चों का साथ देना चाहिए | “लोग क्या कहेंगे?”, इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए |