रिश्तो की नई परिभाषा ( राजन की परेशानी )

रमा और राजन बहुत परेशान हैं । इसकी वजह राजन की मम्मी है । जो उनके साथ दिल्ली में नहीं रहना चाहती । वह अपने शहर लखनऊ में ही रहना चाहती हैं । रमा और राजन का कहना है आप यहां अकेली रहोगी तो हमें हर पल आपकी चिंता रहेगी ।



चलिए अब इस कहानी में थोड़ा पीछे चलते हैं । सारिका और समीर राजन के माता-पिता हैं । रवि और राजन उनके दो बेटे हैं । रवि 5 साल पहले अमेरिका चला गया था । उसकी पत्नी सिया और बेटा राहुल है । रमा और राजन की एक बेटी राधा है । राजन अपनी पत्नी और बेटी के साथ दिल्ली में रहता है ।

सारिका और समीर लखनऊ में रहते थे । सब एक दूसरे से मिलते रहते थे । सारिका को अपनी बहुओं सिया और रमा से कोई शिकायत नहीं है । दोनों अच्छी बहुएं हैं । उनका बहुत ध्यान रखती हैं ।

समीर के देहांत के बाद दोनों बेटों रवि और राजन ने कहा मां हमारे साथ चलो । मां ने कहा अभी नहीं । अमेरिका तो मैं नहीं जाऊंगी । रवि चला गया । राजन ने कहा मां अमेरिका तो दूर है दिल्ली तो पास है । हमारे साथ चलो । मां ने कहा कुछ दिन के लिए चलूंगी । फिर वापस आ जाऊंगी । सारिका की तबीयत ठीक नहीं रहती है ।

अब वर्तमान में रमा ने राजन से कहा अभी मां को कुछ दिनों के लिए ही ले चलो । राजन , रमा , राधा और मां  दिल्ली आ गए ।

राजन और रमा दोनों नौकरी करते थे । राधा भी चौथी कक्षा में पढ़ती थी । सुबह तीनो चले जाते । 3:00 बजे राधा आ जाती । रमा और राजन 7:00 बजे तक आते । कुक खाना बना जाती । बाकी काम बाई कर जाती । राधा दादी के साथ खेलती । रमा और राजन भी उनका पूरा ध्यान रखते । राजन की सोसाइटी में बुजुर्गों ने अपना क्लब बना रखा था । राजन ने कहा मां उसकी सदस्य बन जाओ ।

सारिका क्लब की सदस्य बन गई । वहां उन्हें बहुत से नए दोस्त मिले । उन्हें अच्छा भी लगता था । फिर भी उदास रहती  उन्हें  लखनऊ की याद आती । सारिका ने राजन से कहा मुझे लखनऊ छोड़ा आ । राजन के बहुत समझाने पर भी जब सारिका नहीं मानी । राधा,रमा और राजन उन्हें लखनऊ छोड़ने गए ।

सारिका के घर की बाई 20 साल से उनका काम कर रही थी । आस पड़ोस अच्छा था । घर भी बड़ा था । घर का नक्शा इस तरह का था । आप किराएदार नहीं रख सकते । लखनऊ में राजन के मामा , मौसी भी रहते थे । वह भी सारिका के पास आते रहते थे । सारिका लखनऊ में खुश थी ।

राजन और रमा वापस दिल्ली चले गए । राजन को चिंता होती है । मां रात में इतने बड़े घर में अकेली रहती है । बाहर चौकीदार रहता है । राजन ने रमा से कहा मां हमारे साथ नहीं रहना चाहती तो पास में फ्लैट किराए पर ले लेते हैं । मां उसमें अपने हिसाब से रह लेंगी । हमारे सामने रहेंगी तो हमें चिंता भी नहीं होगी ।

राजन लखनऊ गया । उसने सारिका से कहा मां आप हमारे साथ नहीं रहना चाहती कोई बात नहीं । हम पास में फ्लैट किराए पर ले लेंगे । आप उसमें अपने तरीके से रहना । पास में रहोगी तो मुझे भी कोई चिंता नहीं रहेगी । इस घर को बंद कर देते हैं । कभी कभी यहां घूम जाया करना । सारिका ने कहा ठीक है ।

राजन ने अपनी बिल्डिंग में फ्लैट किराए पर लिया । उसमें मां का सामान सेट करवाया । सारिका खाना खुद बनाती हैं । काम के लिए बाई रख ली  है । आराम से रहती हैं । कभी रमा , राधा और राजन उनके फ्लैट में चले जाते हैं । कभी सारिका राजन के फ्लैट में चली जाती हैं ।

सारिका इस तरह रहने से खुश है । जब चाहे बच्चों के पास चले जाओ । जब अकेले रहना चाहो तो अपना फ्लैट है ही । अपना डेली रूटीन वह अपने हिसाब से सैट करती हैं । सारिका जी के पास पैसे की कमी नहीं है । समीर ने भी अच्छी नौकरी की थी । रमा और राजन , रवि और सिया की नौकरी भी अच्छी है ।

अब राजन भी खुश है । उसे मां की चिंता नहीं होती । रवि भी खुश है कि मां अकेली नहीं है ।