नीमा जब सोचती है तो सोचती रह जाती है । उसने अपने पति के साथ अपने जीवन के 30 साल कैसे बिताये । उसे लगता है जैसे कल की ही बात हो ।
जब नीमा की शादी तय हुई तो सब बहुत खुश थे । लड़का अमित एक आईएएस अधिकारी था । उसका परिवार भी अच्छा था । उसके घर में उसके माता-पिता और एक भाई एक बहन थे । नीमा के भी दो भाई थे । शादी बहुत धूमधाम से और अच्छे से संपन्न हुई ।
शादी के बाद कुछ दिन ससुराल में रहकर नीमा अमित के पास उसकी पोस्टिंग वाले शहर आ गई । उसके सास, ससुर, देवर, नंद सभी अच्छे थे । अमित भी ठीक था । लेकिन उसमें अहम बहुत था । वह सोचता था जो वह कहता है वही सही है ।
अमित नीमा को भी अपनी पत्नी कम अपने अधीन एक कर्मचारी ही समझता । घर में वह चाहता जो मैं कहता हूं वही हो । नीमा की क्या इच्छा है ? वह क्या चाहती है ? इससे उसे कोई मतलब नहीं था । नीमा ने शादी से पहले अपने वैवाहिक जीवन के जो सपने देखे थे । सब बिखर गए ।
शादी के 2 साल बाद नीमा का बेटा हुआ । उसका नाम अमर रखा गया । नीमा के दिल में एक आशा जगी कि शायद अमर के आने से उसकी जिंदगी बदले ।अमर के आने से नीमा अब उसके साथ ज्यादा व्यस्त रहने लगी । अमित अमर के साथ अन्य पिताओ की तरह खेलता कूदता नहीं था । कभी उससे बात कर ली । जब अमर ने स्कूल जाना शुरू किया तो वह पढ़ने में शैतानी करता । नीमा ने एक दिन अमित से कहा आप अमर को समझा दे वह आराम से पढ़ लिया करे । अमर ने कहा यह तुम्हारा काम है कि वह ठीक से पढ़ें तुम उसकी मां हो ।
अमर जब थोड़ा और बड़ा हुआ तो नीमा से पूछता मां मेरा घर मेरे अन्य दोस्तों जैसा क्यों नहीं है ? पापा कभी मुझे स्कूल छोड़ने नहीं आते । पेरेंट्स मीटिंग में भी नहीं आते । नीमा अमर के दिल में अमित की ओर से कोई कड़वाहट नहीं लाना चाहती थी । वह कहती बेटा तुम्हारे पापा बहुत व्यस्त रहते हैं । सारे जिले की जिम्मेदारी उन्हीं पर रहती है । अमर कहता ठीक है । जब पापा को समय मिलता है । तब तो वह हमारे साथ बिता सकते हैं ।
अमर अब दसवीं कक्षा में आ गया था । वह बहुत समझदार बच्चा था । वह नीमा से कहता मम्मी मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं । नीमा ने कहा बेटा इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी । अमर ने 11वीं कक्षा में साइंस विषय लिया और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी करने लगा । उसने बहुत मेहनत की । 12वीं की परीक्षा में उसके अच्छे नंबर आए और मेडिकल में भी उसका चयन हो गया ।
मेडिकल की पढ़ाई के लिए अमर को दूसरे शहर जाना पड़ा । अमर के जाने के बाद नीमा अब अकेली हो गई । अमित के पास तो पहले भी समय नहीं था । अमर नीमा से कहता मम्मी आपकी कोई हॉबी होगी । उसमें अपने को व्यस्त रखिये ।
नीमा को पेंटिंग बनाना बहुत अच्छा लगता था । नीमा पेंटिंग बनाने लगी । उसकी बनाई पेंटिंग लोगों को पसंद आती थी । नीमा अपनी पेंटिंग में और निखार लाना चाहती थी । उसने पेंटिंग क्लास जाना शुरु कर दिया । वहां जाकर उसकी कला में और निखार आया । उसकी शिक्षिका ने नीमा से कहा इस बार जब मैं अपनी पेंटिंग की प्रदर्शनी लगाऊंगी तो तुम्हारी पेंटिंग भी उसमें रखेंगे । नीमा बहुत खुश हुई ।
उसने अमित से कहा मेरी पेंटिंग की प्रदर्शनी है । आप चलोगे । अमित ने कहा ऐसे फालतू कामों के लिए मेरे पास समय नहीं है । नीमा ने अमर को जब फोन पर बताया तो वह बहुत खुश हुआ । उसने कहा मम्मी में इस बार तो नहीं आ पाऊंगा । आप फोटो खींचकर भेजना । आपकी अगली प्रदर्शनी में मैं अवश्य आऊंगा । प्रदर्शनी अच्छी रही । नीमा की सभी पेंटिंग बिक गई । अब वह और उत्साह से पेंटिंग बनाने लगी ।
5 साल में अमर का एमबीबीएस पूरा हुआ । नीमा का कला क्षेत्र में नाम होना शुरू हुआ । अमर एम. एस. की पढ़ाई करने लगा । नीमा अपने कला क्षेत्र में व्यस्त होती गई । 3 साल बाद अमर का एम .एस. पूरा हो गया । नीमा की पेंटिंग की एकल प्रदर्शनी लगने लगी ।
अब सभी व्यस्त हो गए । अमर अपनी डॉक्टरी में । नीमा अपनी पेंटिंग बनाने में । अमित तो शुरु से ही व्यस्त था ।
2 साल बाद अमर की शादी उसकी पसंद की लड़की साक्षी से हुई । वह भी डॉक्टर थी । अमर की तरह साक्षी भी नीमा का ख्याल रखती । अमित तो अपने साथ किसी को घुलने मिलने नहीं देता था ।
अमर और साक्षी दूसरे शहर के अस्पताल में काम करते थे । छुट्टी होने पर आ जाते थे । कभी नीमा उन दोनों के पास चली जाती थी ।
अमित नौकरी से रिटायर हो गए । नौकरी के समय मिलने वाली सुविधाएं हट गई । घर में काम करने के लिए एक नौकर है । पेड़ों की देखभाल करने के लिए माली आता है । अब अमित को अच्छा नहीं लगता किस पर हुकुम चलाएं । अब वह चाहता है नीमा उसके पास बैठे बात करें । अब नीमा के पास समय नहीं है । अब अमित को लगता है उसने अपनी जिंदगी को ऐसे ही जाने दिया । अपनी बीवी बच्चे को कभी प्यार और वक्त नहीं दिया ।
नीमा खुश है । उसे अपनी मंजिल मिल गई है । उसका सफर जारी है । अब वह अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीती है । उसमें अमित का कोई दखल नहीं है ।