राधा और मोहन का प्रेम विवाह हुआ था । उनकी शादी हुए 8 साल हो गए थे । राधा को आज भी याद है उसके घर वाले इस शादी के लिए मान नहीं रहे थे । उनको मनाने के लिए राधा को कितनी मेहनत करनी पड़ी थी, तब जाकर वह माने थे । राधा के घरवालों को लगता था कि राधा मोहन से ज्यादा तरक्की करेगी । तब मोहन के अहम को ठेस लगेगी और वह उसे परेशान करेगा ।
यह बात आज की तारीख में सही साबित हो चुकी है । राधा को याद है उनकी शादी के बाद 2 साल तो बहुत अच्छे गुजरे । दोनों अपनी नौकरी में खुश थे और एक दूसरे के साथ भी खुश थे । फिर वह दो से तीन हो गए । उनकी जिंदगी में उनका बेटा अभिषेक भी शामिल हो गया । अभिषेक को संभालने में राधा की सासु माँ ने हमेशा मदद की । रोहन की तरफ से उतनी मदद नहीं मिली ।
जब उनकी शादी को 5 साल हुए उस साल राधा को अपनी नौकरी में पदोन्नति मिली । राधा बहुत खुश हुई । लेकिन मोहन को ज्यादा खुशी नहीं हुई । अब वह राधा को ताने देने लगा । तुम औरत हो । तुम्हें तो पदोन्नति ऐसे ही मिल जाती है । मेहनत नहीं करनी पड़ती ।
राधा को बहुत गुस्सा आता । वह मोहन से पूछती तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ? तो मोहन कह देता मैं तो मजाक कर रहा था । धीरे-धीरे उनके बीच झगड़े बढने लगे ।
शादी के 8 साल बाद राधा की फिर से पदोन्नति हुई । इस बार मोहन को भी पदोन्नति मिली । तो शेखी बघारने लगा मैंने बहुत मेहनत की तब मुझे पदोन्नति मिली है । राधा का वेतन मोहन से ज्यादा था । अब मोहन के अहम को ठेस लगी । पत्नी का वेतन पति से ज्यादा कैसे हो सकता है ?
आज उसने लडते हुए राधा पर आरोप लगाया तुम्हारा अपने बॉस के साथ चक्कर चल रहा है । तभी तो तुम्हें पदोन्नति मिली है । राधा ने सोचा मेरे घर वालों ने मोहन के बारे में कितनी सटीक भविष्यवाणी की थी । अब मैं इस शक्की पति का क्या करूँ ? इसकी वजह से मैं अपनी नौकरी तो नहीं छोडूँगी । अभिषेक अभी 5 साल का था ।
राधा कोशिश करती अभिषेक के सामने मोहन शांत रहे । कुछ उल्टा-पुल्टा ना बोले । उसकी सासू माँ भी मोहन को समझाती बेटा तुझे इतनी अच्छी पत्नी मिली है । उसकी कद्र कर । अपने परिवार की खुशहाली में आग मत लगा । तेरा इतना प्यारा परिवार है । खुश रहा कर ।
मोहन पर राधा और माँ दोनों की बातों का कोई असर नहीं होता था । वह घर में चिल्लाता रहता । जिससे अभिषेक डरा-डरा रहने लगा । राधा की समझ में नहीं आ रहा था क्या करें ? उसकी सासु माँ ने कहा बेटा तुम अपने ऑफिस में अपना तबादला करवा लो, हो सकता है दूर रहने से मोहन को तुम्हारी कमी का एहसास हो उसे अभिषेक की याद आए । राधा ने कहा ठीक है ।
राधा ने अपना तबादला पास के दूसरे शहर में करा लिया । वह अपनी सासू माँ और अभिषेक को लेकर चली गई । मोहन को कुछ दिन तो अजीब लगा घर खाली खाली लगा । फिर वह अपने में मस्त हो गया ।
15 दिन बाद राधा से मिलने गया तो वह राधा के संबंध वहां साथ काम करने वालों के साथ जोड़ने लगा । मोहन बिना बात का शक करके अपना परिवार उजाड़ रहा था । इसी तरह 6 महीने बीत गए ।
राधा ने अपनी सासू माँ से कहा माँ अब मेरे सहन करने की शक्ति खत्म हो रही है । मैं मोहन के साथ नहीं रहना चाहती । मैं उससे तलाक लेना चाहती हूँ। ताकि मैं शांति से रह सकूँ।
राधा ने मोहन को तलाक दे दिया । सासु माँ की गवाही से अभिषेक की कस्टडी राधा को मिली । राधा ने अपनी सासू माँ को भी नहीं छोड़ा । वह उसी के साथ रहती हैं ।
अब राधा ,सासु माँ और अभिषेक शांति से रह रहे हैं । मोहन अकेला रह गया । लेकिन अकड़ कम नहीं हुई । उसे अपनी गलती पर कोई पछतावा नहीं है ।