शैली की खुशी

शैली एक अच्छी चित्रकार है । उसने फाइन आर्ट एम्. ए. करने के बाद पीएचडी की है । अब एक डिग्री कॉलेज में फाइन आर्ट की प्रोफ़ेसर है । इसके अलावा वह अपने चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाती रहती है । शैली अपने कैरियर में सफल है ।

शैली के माता-पिता उससे कहते हैं बेटा अब तो शादी कर लो । लेकिन शैली कहती है मैं शादी नहीं करूंगी । मुझे अपनी स्वतंत्रता बहुत प्यारी है । उसके माता पिता ने समझाया बेटा अभी तो तुम्हारी शादी की उम्र है । कुछ साल बाद जब तुम्हें एक साथी की कमी महसूस होगी । तब अच्छे साथी नहीं मिलेंगे ।

शैली नहीं मानी उसने विवाह नहीं किया । वह दिन में कॉलेज जाती । जब घर पर होती तो कभी पेंटिंग बनाती । अपने माता पिता के साथ वक्त बिताती ।

ऐसा नहीं है कि शैली ने कभी किसी को पसंद नहीं किया । शैली अपने साथ पढ़ने वाले अमित को पसंद करती थी । लेकिन अमित का सपना मास्टर डिग्री करने के बाद फाइन आर्ट में डॉक्टरेट यूरोप से करने का था । जब उसे वहां एडमिशन मिल गया तो वह चला गया । शुरू में शैली और अमित की बात होती थी । धीरे-धीरे कम होते होते बंद हो गई ।

अमित पढ़ाई पूरी करके फ्रांस में नौकरी करने लगा । उसने शैली से भी कहा पेरिस आ जाओ । हम शादी कर लेंगे । शैली अपने मम्मी पापा को भारत में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी । इसलिए उसने मना कर दिया । इस बात को 5 साल हो गए । अमित के बाद उसे कोई पसंद नहीं आया ।

उसकी सहेली गीता भी उसे समझाती । शैली तुम 35 साल की हो गई हो । एक साथी जो हमारा सुख दुख बांटे वह तो होना ही चाहिए हो । अमित तो पेरिस मे सेटल हो गया है । उसने तो 3 साल पहले शादी भी कर ली । तुम क्यों नहीं करती ।

शैली ने कहा ठीक है मैं इस बारे में सोचूंगी । शैली को लगा मम्मी पापा और गीता सही कहते हैं । जिंदगी में कुछ कमी तो है । लेकिन वह क्या है ? कुछ दिनों तक सोचने के बाद शैली ने निर्णय लिया । मैं एक बच्ची को गोद ले लेती हूं । इससे मेरी स्वतंत्रता भी बनी रहेगी । मेरा अकेलापन भी दूर होगा ।

शैली ने अपना यह निर्णय अपने मम्मी पापा और गीता को बताया । मम्मी पापा ने कहा बेटा अच्छे से सोच लो । बच्चे की परवरिश एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है । इसमें हम भी तुम्हारी मदद करेंगे ।

शैली ने अनाथ आश्रम जाकर एक साल की बच्ची को गोद ले लिया । उसका नाम सिया रखा । सिया के आने से घर में रौनक हो गई । घर पर उसकी देखभाल के लिए एक आया रखी गई । जिससे शैली के मम्मी पापा की मदद हो जाती । इस उम्र में मैं सिया के पीछे भाग दौड़ नहीं कर सकते थे ।

सिया के साथ शैली का बचपन फिर से लौट आया है । कॉलेज से आने के बाद शैली अपना सारा समय सिया को देती है । सिया जब उसे मम्मी कहती है तो उसे बहुत खुशी मिलती है ।