सपनों की उड़ान

सविता और नीना दो बहने थी दोनों ही अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी| उनके सपनों को पूरा करने में उनके माता-पिता भी उनका साथ देते थे| उनका परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था| उनके पिता एक अध्यापक थे मां एक कुशल ग्रहणी| दोनों बहनों को यह बात पता थी की सीमित साधनों में ही हमें अपने सपने पूरे करने होंगे|

सविता एक आई.ए.एस ऑफिसर बनना चाहती थी, मीना एक पायलट| नीना पायलट बन कर एयर फोर्स में जाकर देश की सेवा करना चाहती थी|

इसके लिए दोनों बहनों ने कड़ी मेहनत की वह पढ़ाई के साथ साथ बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाने लगी| सविता बी.ए. प्रथम वर्ष में थी| नीना ग्यारहवीं में थी| सविता कॉलेज की पढ़ाई के साथ आई.ए.एस. की तैयारी भी कर रही थी| नीना अपनी पढ़ाई के साथ साथ एन.डी.ए. की परीक्षा की तैयारी भी कर रही थी|

दो साल बाद जब नीना ने बारहवीं की परीक्षा दी उसके साथ ही उसने एन.डी.ए. की परीक्षा भी दी| सविता ने बी.ए. द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी|

जब रिजल्ट आया तो नीना बाहरवीं में अच्छे अंको से पास हो गई लेकिन एन.डी.ए. में उसका सेलेक्शन नहीं हुआ| वह बहुत दुखी हुई| सविता और उसके मम्मी पापा ने उसे समझाया कोई बात नहीं बेटा फिर से प्रयास करो|

अब नीना फिर से एन.डी.ए. परीक्षा की तैयारी में जुट गई| 6 महीने बाद परीक्षा थी उसे यह पता था की जब तक मैं 19 साल की नहीं हो जाती परीक्षा दे सकती हूँ| जब 6 महीने बाद एग्जाम हुआ तो वह पास हो गई और 3 साल की ट्रेनिंग के लिए चली गई|

अब घर पर सब बहुत खुश थे की नीना जो बनना चाहती थी उस दिशा में उस ने कदम बढ़ा दिए हैं|

सविता भी अपनी मेहनत कर रही थी 6 महीने बाद उसने अपनी बी.ए. तृतीय वर्ष की परीक्षा दी| आई.ए.एस. की परीक्षा भी दी| जब रिजल्ट आया तो वह बीए में 80% अंकों के साथ पास हो गई थी लेकिन आई.ए.एस. की प्रारंभिक परीक्षा में तो पास हो गई दूसरी परीक्षा में रह गई| सविता बहुत निराश हुई|

सविता के पिता ने कहा बेटा ऐसे निराश नहीं होते फिर से तैयारी करो फिर से परीक्षा दो|

सविता ने एक साल तक कड़ी मेहनत कर फिर से तैयारी की और दूसरी बार में उसका आई.ए.एस. में सेलेक्शन हो गया|

घर में सब बहुत खुश थे कि सविता और नीना ने अपनी मेहनत से अपने सपने साकार किए|

किसी ने सच ही कहा है कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता? एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों|