अपनों का साथ – राज और सिमरन की शादी

राज और सिमरन एक दूसरे से प्यार करते थे । दोनों शादी करना चाहते थे । लेकिन उनके परिवारों में 10 साल पहले लड़ाई हो गई थी । लड़ाई की वजह भी बहुत मजेदार थी । राज और सिमरन दोनों के दादाजी अपने समय के बहुत अच्छे पहलवान थे । दोनों एक दूसरे के दोस्त भी थे । दोनों एक साथ कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने जाते थे । वह दोनों अभी भी नए पहलवानों को कुश्ती के दांव पर सिखाते थे ।

10 साल पहले एक पहलवान श्याम उनसे कुश्ती सीखने आया । राज के दादाजी ने कहा यह नहीं सीख पाएगा । सिमरन के दादाजी ने कहा यह बहुत बढ़िया पहलवान बनेगा । सिमरन के दादाजी ने श्याम को कुश्ती के बारे में अच्छा सा ज्ञान दिया । श्याम को अच्छे से सिखाया । श्याम मेहनत भी करता था । लेकिन वह आलसी भी था । इसी वजह से वह ज्यादा अच्छा पहलवान नहीं बन पाया ।

अब राज के दादाजी सिमरन के दादाजी को रोज चिढ़ाते । मैंने तो श्याम को पहले ही पहचान लिया था । रोज तो सिमरन के दादा जी इस बात को मजाक में टाल जाते । लेकिन एक दिन उन्हें भी गुस्सा आ गया । उन्होंने कहा मुझे तुझसे बात नहीं करनी । उसके बाद से दोनों परिवारों के सदस्य एक दूसरे से दादाजी के सामने बात ही नहीं करते थे ।

घर में सिमरन की शादी की बात चल रही थी । सिमरन ने राज से कहा यदि हमने अभी कुछ नहीं किया तो हमारे रास्ते अलग हो जाएंगे । सिमरन का एक भाई मानव था । उसे पता था राज और सिमरन शादी करना चाहते हैं । मानव ने कहा दोनों अपनी अपनी दादी को सब बता दो।

राज ने अपनी दादी से कहा दादी मैं सिमरन से शादी करना चाहता हूं । दादी ने बोला तुझे दुश्मन की पोती ही पसंद आनी थी । राज ने कहा दादी वह आपको पसंद है । दादी ने कहा मेरे पसंद करने से क्या होगा ? तेरे दादाजी नहीं मानेंगे ।राज ने कहा दादी उन्हें मनाने की कोई तरकीब निकालो । दादी ने कहा सोचती हूं ।

सिमरन अपनी दादी के पास गई । दादी ने पूछा क्या बात है ? उदास क्यों है ? सिमरन ने कहा दादी मेरी मदद करो । मैं राज से शादी करना चाहती हूं । दादी ने कहा तेरे दादा जी नहीं मानेंगे। सिमरन ने कहा दादी अब तो आपका ही सहारा है । दादी ने कहा ठीक है । कुछ उपाय निकालती हूं ।

राज की दादी ने राज से कहा सिमरन को फोन मिला । जब सिमरन ने फोन उठाया । राज ने कहा अपनी दादी को फोन दो । सिमरन ने दादी को फोन दिया । राज की दादी ने पूछा कुछ सोचा शारदा  (सिमरन की दादी ) । शारदा ने कहा नहीं आरती (राज की दादी) । दोनों ने आपस में बात की । दोनों ने राज सिमरन से कहा चिंता मत करो । तुम्हारी शादी अवश्य होगी ।

राज की दादी ने राज के दादा जी से कहा मुझे कल सुबह टहलने जाना है आपके साथ । उधर सिमरन की दादी ने सिमरन के दादा जी से कहा मुझे कल सुबह आपके साथ पार्क जाना है ।

अगली सुबह पार्क में राज और सिमरन दोनों के दादाजी का टहलते समय आमना-सामना हो गया । जब तक दोनों आपस में कुछ कहते सुनते । दोनों की पत्नी आपस में झगड़ा करने लगी । ऐसा लग रहा था कहीं वह हाथापाई ना करने लगे । दोनों के दादाजी अपनी-अपनी पत्नियों को घर चलने के लिए कहने लगे । दोनों बहुत मुश्किल से घर जाने को तैयार हुई । घर पहुंचकर राज के दादाजी ने राज की दादी से पूछा तुम पार्क में शारदा भाभी से झगड़ा क्यों कर रही थी? राज की दादी ने कहा वह मेरे राज की शादी अपनी पोती सिमरन से करना चाहती हैं । वह मैं कभी होने नहीं दूंगी । दादा जी ने कहा शारदा भाभी ठीक ही तो सोच रही हैं । हमने कभी ध्यान ही नहीं दिया । दोनों की जोड़ी अच्छी रहेगी । राज की दादी ने कहा मैं ऐसा नहीं चाहती । घर के बाकी सब लोग भी आ गए । सारी बात पता चलने पर कोई दादाजी की तरफ था कोई दादी की तरफ ।

इधर सिमरन के दादा दादी घर पर पहुंचे ।सिमरन की दादी ने दादा जी से कहा जानते हो मैंने आरती  भाभी से झगड़ा क्यों किया ? वह अपने राज की शादी हमारी सिमरन से करना चाहती हैं । कहां हमारी सिमरन इतनी अच्छी ? कहां वह बेकार सा राज । दादाजी ने कहा दोनों की जोड़ी अच्छी रहेगी । सिमरन के परिवार के सदस्य भी दो हिस्सों में बंट गए । कोई दादा की तरफ  था कोई दादी की ।

राज और सिमरन के दादाजी ने आपस में सालों से बात नहीं की थी । अब कैसे बात करें ? राज और मानव ने दोनों को कुश्ती के अखाड़े में मिलवाने की बात सोची । राज और मानव अपने अपने दादाजी को अखाड़े में ले गए और उनसे कहा या तो यहां पर आप दोनों लड़ाई कर लो या फिर से दोस्त बन जाइए । दोनों दादाजी झिझकते हुए एक दूसरे के गले मिले । दोनों की दोस्ती हो गई ।

दोनों दादाजी ने कहा हम तो राज और सिमरन की शादी के लिए मान गए । दोनों दादी नहीं  मानेंगी ।

दादाओं की दोस्ती हो जाने से दोनों परिवारों के लोग एक दूसरे से दादाजी के सामने मिलने लगे । मिलते तो वह पहले भी थे चोरी चोरी चुपके चुपके । दोनों परिवारों के सभी लोग मिलकर सोचने लगे । दादियों को कैसे मनाए ?  राज और सिमरन से कहा गया दोनों एक दूसरे की दादी को मनाओ ।

राज सिमरन की दादी के पास गया उसने दादी से कहा दादी अब तो आप मान जाओ । इधर सिमरन ने राज की दादी से कहा दादी हमें जो सजा देनी है दे दो । शादी के लिए मान जाओ ।

राज और सिमरन दोनों एक दूसरे की दादी को मनाते रहे उन्होंने कहा आप जब तक हां नहीं कहोगी हम अनशन करेंगे । दोनों दादियों ने कहा हम मान गए ।

दोनों परिवार के सभी लोगों ने मिलजुल कर शादी की तैयारियां  की । राज और सिमरन दोनों की दादी ने उन दोनों की शादी अपनी तरकीब से करवा दी । दोनों के दादाजी इसे अरेंज मैरिज समझते हैं ।

राज और सिमरन दोनों अपने परिवारों के साथ हंसी-खुशी जीवन बिता रहे हैं ।