परीक्षा में फेल होना – जिंदगी नए रास्ते दिखाती है ।

राधा और अमर का बेटा निखिल आईआईटी की तैयारी कर रहा है । उसने 11वीं कक्षा में विज्ञान विषय लिया है । इसके साथ में आईआईटी की परीक्षा के लिए कोचिंग भी कर रहा है । निखिल अपनी कोचिंग और विद्यालय की पढ़ाई में बहुत व्यस्त रहता है । उसके पापा अमर इंजीनियर हैं । राधा और अमर निखिल के पूरे दिन के रूटीन का ध्यान रखते हैं । निखिल अपने टाइम टेबल को फॉलो करता है ।

राधा और अमर निखिल से जब भी बात करते हैं । कहते हैं बेटा खूब मेहनत करो । तुम्हारा चयन जरूर हो जाएगा । निखिल के कोचिंग के टेस्ट में अच्छे नंबर आते हैं । वह कोचिंग के अच्छे विद्यार्थियों में आता है ।

2 साल तक निखिल खूब मेहनत करता है । वह जो तैयारी कर रहा था । उसे परीक्षा में दिखाना है । पहले निखिल की बोर्ड परीक्षा होती है । पेपर अच्छे होते हैं । पेपर खत्म होते ही जेईई मेंस की परीक्षा होती है । इस परीक्षा में 10 लाख के करीब छात्र बैठते हैं । उसमें से 2 लाख बच्चे आईआईटी की परीक्षा दे पाते हैं । 2 लाख बच्चों में से 12 हजार बच्चे आईआईटी में सिलेक्ट होते हैं । एक एक नंबर पर हजारों बच्चे होते हैं ।

निखिल का जेईई मेंस का एग्जाम अच्छा होता है । एक महीने बाद रिजल्ट आता है । निखिल 2 लाख बच्चों में चयनित हो जाता है । अब उसे आईआईटी का एग्जाम देना है । एक महीने बाद जब उसका एग्जाम होता है तो उसका पेपर अच्छा नहीं होता । उसका बोर्ड का रिजल्ट आ जाता है । उसमें उसके 90% मार्क्स आते हैं ।

जब आई आई टी का रिजल्ट आता है तो उसकी 50 हजार रैंक आती है । उसे किसी आईआईटी में दाखिला नहीं मिलेगा । कोई एनआईटी मिल सकता है ।

निखिल का आईआईटी से इंजीनियरिंग करने का सपना टूट जाता है । वह सोचता है अब मैं क्या करूं ? मेरी मेहनत सफल नहीं हुई । राधा और अमर उसे समझाते । तुम एनआईटी में दाखिला ले लो । वहां से इंजीनियरिंग कर लो । उसके मम्मी पापा उसे समझाते हैं । बेटा 10 लाख बच्चों में से तुम दो लाख में आए । 2 लाख में से 50 हजार में आए । यह छोटी बात नहीं है ।

निखिल पर अपने मम्मी पापा की बातों का कोई असर नहीं होता । वह कहता है मम्मी पापा मैं फेल हो गया । अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाया । मैं एनआईटी से इंजीनियरिंग नहीं करूंगा ।

निखिल के पापा अमर उसे समझाते हैं । तुम 1 साल ड्रॉप कर लो । एग्जाम की तैयारी करो । अगले साल फिर से एग्जाम दो । लेकिन याद रखो । उसमें तुम्हारा एग्जाम अच्छा भी हो सकता है और इससे खराब भी । तुम दोनों परिणामों के बारे में सोचकर फैसला करो ।

निखिल कहता है मैं फिर से तैयारी करूंगा । निखिल इस एक साल में फिर से कड़ी मेहनत करता है । जब परीक्षा होती है । उसका परिणाम उसकी आशा के अनुरूप नहीं आता । इस बार उसकी 40 हजार रैंक आती है । उसे आईआईटी में दाखिला नहीं मिलेगा । एनआईटी में दाखिला लेना होगा ।

अमर और राधा निखिल को समझाते हैं । बेटा आईआईटी में दाखिला नहीं मिला तो दुनिया खत्म नहीं हो जाती । तुम्हारे पास और बहुत से ऑप्शन है । तुम एनआईटी से इंजीनियरिंग कर सकते हो । बाद में आईआईटी से एमटेक के लिए प्रयत्न कर सकते हो । कुछ और करना चाहो तो बीएससी , मास कम्युनिकेशन, बीबीए, बीसीए , फैशन डिजाइनिंग जो चाहो कर सकते हो ।

निखिल की समझ में आ जाता है । वह एनआईटी से इंजीनियरिंग  करेगा । निखिल को एनआईटी भोपाल स्टेट कोटे से मिल जाता है । वहां पर दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई शुरू करता है । शुरू में तो उसका मन नहीं लगता । बाद में दोस्त बन जाते हैं और उसे अच्छा लगने लगता है ।

निखिल अपने मम्मी पापा से रोज फोन पर बात करता था । जब दिवाली की छुट्टी में वह घर आता है तो उसे खुश देख कर उसके मम्मी पापा भी खुश होते हैं । वह निखिल से पूछते हैं । बेटा इंजीनियरिंग के बाद क्या करोगे ? निखिल कहता है सोच कर बताऊंगा ।

जब निखिल सेकंड ईयर में पहुंचता है । देखता है सभी दोस्त अपना लक्ष्य निश्चित कर रहे हैं । कोई विदेश जाकर एम एस करना चाहता है । उसकी तैयारी कर रहा है । कोई सिविल सर्विसेज में जाना चाहता है । कोई गेट की तैयारी कर रहा है। कोई एमबीए करना चाहता है । उसकी तैयारी कर रहा है । निखिल सोचता है मैं एमबीए करूंगा । उसकी तैयारी करता है ।

4 साल बाद जब निखिल की इंजीनियरिंग पूरी होती है । उसे एमबीए के अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल जाता है ।

2 साल एमबीए की पढ़ाई करके वह जॉब करने लगता है । अब उसे समझ आ जाता है । एक एग्जाम में फेल होने का मतलब जिंदगी खत्म होना नहीं है । जिंदगी हमें नए-नए रास्ते दिखाती है । हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए ।

निखिल को अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है । वह खुश है । उसे खुश देख कर राधा और अमर भी खुश हैं।