निशा और समर की शादी अच्छे से सभी रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुई । शादी के बाद निशा को ससुराल में घूंघट करना पड़ा । घर के काम भी करने पड़े । घर वालों ने शुरू में उसे अपनाया भी नहीं । आशा निशा से कहती ज्यादा सेवा मत कर कुछ फायदा नहीं है । आशा और निशा दोनों ससुराल में नहीं रहती थी । दोनों अपने अपने पति के साथ रहती थी । तीज त्यौहार पर सब इकट्ठे होते थे । तब आशा कुछ काम नहीं करती थी । निशा को सब काम करना पड़ता । जब वह समर से कहती मैं क्यों काम करूं ? दीदी तो कुछ करती नहीं । सासु मां जब हम नहीं होते तब भी तो काम करती हैं । समर कहता जब तक तुम यहां हो तब तक तो उन्हें आराम दे सकती हो । भाभी की तरह उन से कभी लड़ना मत ।
निशा मायके जाती तो वहां मम्मी पापा उससे खुश होते । बेटा तू ने ठीक कहा था तेरी शिकाय शिकायतें नहीं आएंगी ।
आशा और निशा में झगड़ा होता । निशा कहती तुम्हारी वजह से मुझे ससुराल में सब के दिलों में जगह बनाने के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ रही है । आशा कहती मैंने तो पहले ही कहा था । समर से शादी मत कर तू नहीं मानी । अब भुगतान कर ।
इस तरह समर और निशा की शादी को 5 साल हो गए । अमर और आशा की शादी को 8 साल हो गए । गोलू 6 साल का हो गया । उसकी बहन मॉली 2 साल की थी । समर और निशा की बेटी खुशी 3 साल की थी । निशांत की पढ़ाई पूरी होने के बाद बैंक में नौकरी लग गई थी । सब निशांत से कहते शादी कर लो । उसने कहा मैं शादी नहीं करना चाहता । मुझे दोनों भाभी जैसी पत्नी नहीं चाहिए । आशा भाभी किसी की सुनती नहीं है । निशा भाभी कुछ कहती नहीं है । सभी परिवार वालों ने पूछा तुझे कैसी पत्नी चाहिए ?
निशांत ने कहा कुछ अपनी कहे कुछ हमारी सुने । ऐसी लड़की शायद ना मिले । मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चले । निशांत के मम्मी पापा ने पूछा तुझे कोई पसंद तो नहीं आ गई । इसीलिए बातें बना रहा हो । निशांत ने कहा अभी तक तो नहीं मिली खोज जारी है ।
6 महीने बाद निशांत की बैंक में एक लड़की रचना आई । वह कुछ कुछ वैसी ही थी । जैसी पत्नी निशांत अपने लिए चाहता था । कुछ महीनों में दोनों की दोस्ती हो गई । निशांत ने रचना से पूछा तुम कैसे लड़के से शादी करना चाहोगी ? रचना ने कहा मुझे ऐसा पति चाहिए जो मुझे समझे । शादी के बाद हम मिल जुलकर गृहस्थी संभाले । निशांत ने कहा मैं भी ऐसा ही सोचता हूं ।
निशांत और रचना ने अपने अपने घर पर एक दूसरे के बारे में बताया । दोनों के परिवार वाले एक दूसरे से मिले । दोनों भाभियों को देखकर रचना को समझ नहीं आया । उसे किस तरह रहना होगा ? निशांत ने बताया तुम्हें निशा भाभी की तरह रहना होगा । धीरे-धीरे कुछ बदलाव आएंगे । एकदम से कुछ नहीं होगा । रचना ने कहा ठीक है । जहां हम नौकरी करते हैं । वहां तुम अपने हिसाब से काम करना ।
निशांत और रचना की शादी धूमधाम से हो गई । शादी के बाद कुछ दिन दोनों परिवार के साथ रहे । उसके बाद नौकरी वाले शहर चले गए । तीनों बेटे बहुयें चले गए । मम्मी पापा अकेले रह गए । उनकी अपनी दिनचर्या थी । वह उसी में खुश रहते । वह अपने बच्चों से ज्यादा आशा नहीं करते थे ।
निशांत और रचना की शादी के कुछ महीने बाद दिवाली आई । तीनों बेटे बहुएं घर पर इकट्ठे हुए । आशा का वही हाल था । निशा और रचना ने मिलकर सारी तैयारी की । सास, ससुर और अमर , समर , निशांत ने मदद की । तीनों बच्चे भी खुश थे । सभी ने मिलजुल कर त्यौहार मनाया ।
इसी तरह निशांत रचना की शादी को 1 साल हो गया । तीज त्योहार पर पूरा परिवार इकट्ठा हो जाता । अच्छा लगता लेकिन काम बढ़ जाता । साड़ी पहनकर सिर ढककर काम करने में मुश्किल होती । इस बार रचना ने निशा से कहा भाभी आपने कभी सासू मां से पूछा हम लोग घूंघट ना करें , सूट पहन पाए । निशा ने कहा नहीं । रचना ने कहा चलिए आज बात करते हैं । निशा ने कहा तुम बात करके देखो । मैं नहीं जाऊंगी । तुम्हारे भैया नाराज होंगे ।
रचना अपनी सासू मां के पास गई और कहा मां हम घर में कुछ बदलाव चाहते हैं । क्या हम घूंघट की जगह सर ढक लिया करें । हम सूट पहन लिया करें । सासू मां ने कहा ठीक है । अब रचना सर ढक कर काम करने लगी । सासू मां की इजाजत से सूट भी पहनने लगी । सासू मां ने निशा से कहा बेटा तुम भी सूट पहन लिया करो । घूंघट मत करो ।
निशा ने अमर से कहा अब तो मां ने मुझे इजाजत दे दी है । मैं भी सूट पहनूंगी । घूंघट नहीं करूंगी । समर ने कहा ठीक है ।
शादी के 10 साल बाद निशा ससुराल में कुछ बदलाव देख पायी । यदि उसकी बहन आशा का व्यवहार ससुराल में सही होता तो उसे इतना सहन ना करना पड़ता ।